इससे पहले मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की बेंच ने केंद्र से फैसला लेने की प्रक्रिया से संबंधित विस्तृत जानकारी मांगी थी. बेंच ने गवर्नमेंट से तकनीकी जानकारी व राफेल कीमतों के बिना रिपोर्ट मांगी थी. जिसके बाद गवर्नमेंट ने 27 अक्तूबर को न्यायालय के सामने राफेल सौदे की फैसला प्रक्रिया का पूरा विवरण प्रस्तुत किया.
बता दें राफेल सौदे में लड़ाकू विमान की कीमतों को लेकर विपक्षी पार्टियां प्रारम्भ से ही केंद्र गवर्नमेंट पर गंभीर आरोप लगा रही हैं. मामले से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम न्यायालय ने केंद्र गवर्नमेंट से फैसला प्रक्रिया की जानकारी सील बंद लिफाफे में मांगी थी.
मामले की सुनवाई सीजेआई रंजन गोगोई, जस्टिस एसके कौल व जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच कर रही है. न्यायालय ने पिछली सुनवाई में बोला था कि वह डिफेंस फोर्सेज के लिए राफेल विमानों की उपयुक्तता पर कोई राय नहीं देना चाहते व न ही कोई नोटिस जारी कर रहे हैं. न्यायालय केवल निर्णय लेने की प्रक्रिया की वैलिडिटी जानना चाहता है.
इस सौदे का विरोध कर रही मुख्य विपक्षी पार्टी का कहना है कि गवर्नमेंट 1670 करोड़ रुपये प्रति राफेल की दर से विमान खरीद रही है जबकि पिछली गवर्नमेंट के कार्यकाल के दौरान इसकी मूल्य 526 करोड़ रुपये तय हुई थी.