SC ने महिलाओं के हक में सुनाया ऐतिहासिक फैसला

हमारी संस्कृति में महिलाओं का स्थान सबसे ऊपर हैं। महिलाओं को देवी की तरह पूजा जाता हैं। इसलिए महिलाओं के प्रवेश पर जो प्रतिबंध लगा हैं, वह गलत हैं। कोर्ट ने महिलाओं के एंट्री पर रोक को हटाने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि मंदिर में सभी महिलाओं का जाने का अधिकार हैं।

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आपको बता दें कि केरल के पत्थनमथिट्टा जिले में पश्चिमी घाट की एक पहाड़ी पर सबरीमाला मंदिर है जिसमें 10 से लेकर 50 साल की महिलाओं के प्रवेश पर रोक है। हालांकि यहां छोटी बच्चियां और बुजुर्ग महिलाएं जा सकती हैं। सबरीमाला मंदिर हर साल नवम्बर से जनवरी तक श्रद्धालुओं के लिए खुलता है। मंदिर में प्रवेश को लेकर महिलाओं का कहना है कि उन्हें भी पूजा करने का अधिकार मिले। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लगातार सुनवाई चल रही है। इसी साल 18 जुलाई को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिपण्णी की है।

महिलाओं के समर्थन में कोर्ट ने कहा है कि पुरुषों की तरह महिलाओं को भी मंदिर में प्रवेश और पूजा करने का अधिकार है। केरल सरकार ने भी मंदिर में सभी महिलाओं के प्रवेश की वकालत की हैं। याचिका का विरोध करने वालों ने दलील दी है कि सुप्रीम कोर्ट सैकड़ों साल पुरानी प्रथा और रीति रिवाज में दखल नहीं दे सकता। भगवान अयप्पा खुद ब्रहमचारी हैं और वे महिलाओं का प्रवेश नहीं चाहते। याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए पूछा महिलाओं को उम्र के हिसाब प्रवेश देना संविधान के मुताबिक है?

मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आर्टिकल 25 सभी वर्गों के लिए बराबर है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिर हर वर्ग के लिए है किसी खास के लिए नहीं है। हर कोई मंदिर आ सकता है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान इतिहास पर नहीं चलता बल्कि ये ऑर्गेनिक और वाइब्रेंट है। देश में प्राइवेट मंदिर का कोई सिद्धांत नहीं है। मंदिर प्राइवेट संपत्ति नहीं है ये सावर्जनिक संपत्ति है, ऐसे में सावर्जनिक संपत्ति में अगर पुरुष को प्रवेश की इजाजत है तो फिर महिला को भी प्रवेश की इजाजत मिलनी चाहिए।