रूस ने समुद्र में उतारा ये खतरनाक हथियार, देख चीन के भी छूटे पसीने

अपनी तकनीक के चलते इस पनडुब्बी को ‘अंडरवॉटर इंटेलिजेंस एजेंसी’ नाम दिया जाता है. बेलगोरोड पनडुब्बी के कैप्टन सीधे रूस के राष्ट्रपति को रिपोर्ट करते हैं.

 

इस पनडुब्बी की ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अगर इसमें लगे परमाणु तारपीडो में से किसी एक का भी इस्तेमाल किया गया तो समुद्र में रेडियोएक्टिव सुनामी आ सकती है.

बेलगोरोड पनडुब्बी 80 मील प्रतिघंटे की रफ्तार से चलने में सक्षम है. इस पनडुब्बी का सोनार से भी पता लगा पाना मुश्किल है. पनडुब्बी में तैनात तारपीडो अपने साथ दो मेगाटन के परमाणु हथियार ले जा सकते हैं. परमाणु हथियारों की ये क्षमता हिरोशिमा पर गिराए गए बम से 130 गुना ज्यादा है.

ये पनडुब्बी पानी के भीतर 1700 फीट की गहराई तक जाने में सक्षम है. ये क्षमता कुछ ही पनडुब्बियों के पास है. इतनी गहराई में रडार सिस्टम से भी इस पनडुब्बी का पता नहीं लगाया जा सकता.

रूस का हथियार अमेरिका के लिए चिंता की वजह बना हुआ है क्योंकि अमेरिका के पानी में अगर ये पनडुब्बी घुसपैठ करती है तो सेना के लिए इसका पता लगा पाना मुश्किल होगा.

बीते दिनों नॉर्वे में अमेरिका की ओर से परमाणु बॉम्बर्स की तैनाती के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है. रूस के सबसे खतरनाक हथियार बेलगोरोड पनडुब्बी की लंबाई 604 मीटर है. इसमें छह पोसिडन लॉन्ग रेंज स्ट्रैटजिक न्यूक्लियर टॉरपीडो लगे हुए हैं. ये न सिर्फ पानी के नीचे दुश्मन की जासूसी करने बल्कि जरूरत पड़ने पर दुश्मन के ठिकानों पर परमाणु मिसाइल से हमला भी कर सकते हैं.

यूरोप में पैर पसारते अमेरिका (America) को आंखे दिखाने के लिए रूस (Russia) ने अपनी ताकत में इजाफा किया है. रूस ने बाल्टिक सागर और कारा सागर में अपनी परमाणु पनडुब्बियों (Nuclear Submarine) को तैनात कर दिया है.

पानी में रूस का सबसे बड़ा हथियार परमाणु पनडुब्बी बेलगोरोड (Belgorod) की तैनाती भी की जा चुकी है. ये पनडुब्बी रूस की सेना (Russian Army) में 2019 में शामिल हुई थी. इसमें खास इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलें भी लगी हुई हैं जो युद्ध के वक्त अमेरिका में तबाही मचा सकती हैं.