आरबीआई की रिपोर्ट, दो साल से उच्च ब्याज दरों के स्थिर होने के बावजूद पर्सनल लोन में वृद्धि
दो साल से उच्च ब्याज दरों के स्थिर होने के बावजूद पर्सनल लोन के तहत आने वाले हाउसिंग, क्रेडिट कार्ड और शिक्षा कर्ज में 23 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि हुई है। आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, हाउसिंग के एवज में कर्ज मार्च, 2024 तक सबसे अधिक 36 फीसदी बढ़कर 27,18,715 करोड़ रुपये पहुंच गया। मार्च, 2023 तक यह 19,91,164 करोड़ रुपये था। कुल पर्सनल लोन 20 फीसदी बढ़कर 53.31 लाख करोड़ के स्तर पर पहुंच गया है।
इसी तरह, क्रेडिट कार्ड बकाया 25.6 फीसदी बढ़कर 2.57 लाख करोड़ और शिक्षा कर्ज 23.7 फीसदी बढ़कर 1.19 लाख करोड़ पहुंच गया। कंज्यूमर ड्यूरेबल खरीदने को लिया गया कर्ज 13.4 फीसदी, फिक्स्ड डिपॉजिट के बदले कर्ज 2.2 फीसदी, ऑटो लोन 17.4 फीसदी और गोल्ड लोन 14.8 फीसदी बढ़ा है। कुल कर्ज में पर्सनल लोन का हिस्सा 2023-24 में बढ़कर 27 फीसदी पहुंच गया, जो 2022-23 में 20 फीसदी था। कृषि कर्ज 15.4 फीसदी से बढ़कर मार्च, 2024 में 20 फीसदी पहुंच गया। उद्योग कर्ज बढ़कर 8.5 फीसदी पहुंच गया।
आपसे पैसे लेकर बैंक ऐसे चलाते हैं अपना कारोबार
बैंकों का कारोबार मूलरूप से आपसे जमा लेकर उसी को किसी अन्य को कर्ज देकर चलता है। आपसे कम ब्याज पर पैसा लेकर दूसरों को ज्यादा ब्याज पर देते हैं। सरकारी बैंकों के फंड की लागत 2022-23 में 4.1 फीसदी रही थी और उनकी कमाई 7.5 फीसदी रही। 2023-24 में लागत बढ़कर 5 फीसदी तो हो गई, लेकिन कर्ज से कमाई भी बढ़कर 8.41 फीसदी पर पहुंच गई। निजी बैंकों का भी यही हाल है। उनकी लागत मार्च, 2024 में 5.4 फीसदी थी लेकिन कर्ज से कमाई 10.4 फीसदी रही थी।