आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक आज से, रेपो रेट पर फैसले का एलान 9 अक्तूबर को
भारतीय रिजर्व बैंक ( आरबीआई ) सोमवार को अपनी तीन दिवसीय मौद्रिक नीति बैठक शुरू कर रहा है। यह बैठक 7 अक्तूबर से 9 अक्तूबर तक चलेगी। बाजार में सभी की नजरें एमपीसी की मीटिंग पर टिकी हैं, क्योंकि केंद्रीय बैंक ने पिछली नौ लगातार बैठकों से रेपो दर को अपरिवर्तित रखा है।
मुद्रास्फीति नियंत्रण और आर्थिक विकास को संतुलित करने के लिए आरबीआई द्वारा सतर्क रुख अपनाने के बाद से रेपो दर, जो वर्तमान में 6.50 प्रतिशत है और स्थिर बनी हुई है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) से मुद्रास्फीति के रुझान , वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और घरेलू विकास संभावनाओं जैसे प्रमुख कारकों पर विचार करने की उम्मीद है।
महंगाई अब भी मौद्रिक नीति समिति के लिए चुनौती
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) मुद्रास्फीति के रुझान, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और घरेलू विकास की संभावनाओं जैसे प्रमुख कारकों पर विचार कर सकती है। मुद्रास्फीति एक चुनौती बनी हुई है, खासकर खाद्य और ईंधन की कीमतों में, जिसमें इस साल की शुरुआत में उछाल देखा गया था।
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति 3.65 प्रतिशत थी, जो आरबीआई के लक्ष्य बैंड के अंतर्गत है, लेकिन इस दौरान खाद्य मुद्रास्फीति 5.65 प्रतिशत रही और यह आरबीआई के मध्यम अवधि के लक्ष्य 4 प्रतिशत से ऊपर है। मुद्रास्फीति के इन दबावों के बावजूद, RBI ने मुख्य रूप से महामारी के बाद आर्थिक सुधार का समर्थन करने के लिए रेपो दर पर यथास्थिति बनाए रखने का विकल्प चुना।
पश्चिम एशिया में तनाव के कारण समिति अपने रुख पर कर सकती है विचार
हालांकि, इस बात की चिंता बढ़ रही है कि पश्चिम एशिया में तनाव पर वैश्विक कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों जैसे बाहरी कारक RBI को अपने मौजूदा रुख पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर सकते हैं। इस महीने की शुरुआत में केंद्र सरकार ने मौद्रिक नीति समिति में तीन नए सदस्यों की नियुक्ति की। MPC में RBI के तीन सदस्य और केंद्र सरकार की ओर से नियुक्त तीन बाहरी सदस्य शामिल हैं।