PoK के रास्ते भारत को घेरना चाहती है चीन

एक बार फिर चीन अपने कूटनीतिक चालों से भारत को घेरना चाह रहीं है, जिससे वह भारत को परेशान कर सकें। लेकिन भारत सरकार ने चीन के चाल भांप कर उसके इस दांव का विरोध किया हैं। दरअसल बात यह हैं कि चीन, पाकिस्तान के साथ अपने रिश्तों को और मजबूती करने के लिए पाकिस्तान अधिकृत रास्ते के जरिए बस चलाना चाहती हैं। जिससे वह उसके साथ व्यापार कर सकें। क्योंकि पाकिस्तान का कोई भी सीमा चीन से नहीं लगता है, जो कि चीन और पाकिस्तान कह रहें हैं।

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चीन की असली मंशा पाकिस्तान के साथ व्यापार संबंध बढ़ाने के अपेक्षा भारतीय सीमा में हस्तक्षेप करना एवं अरब सागर में अपना दखल बढ़ाना हैं। क्योंकि पाकिस्तान पहले से ही कर्ज के बोझ तले इतना अधिक दब चुका हैं कि वह सहीं से खड़ा भी नहीं हो सकता। इसलिए चीन उसे अपने कर्ज के तले दबाकर उसके संपूर्ण संसाधनों एवं भू-भाग पर राज करना चाहता हैं। क्योंकि वर्तमान में भारत ही एक ऐसा देश हैं जो चीन को कड़ा टक्कर देता हुआ नज़र आ रहा हैं। चीन पाकिस्तान के जरिए भारत पर मानसिक दबाव बनाना चाहता है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने बुधवार को कहा कि उसने चीन- पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजना (सीपीईसी) के तहत पाक के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से होकर इन दोनों देशों के बीच प्रस्तावित बस सेवा को लेकर चीन और पाकिस्तान के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया है। कुमार ने कहा कि यह बस सेवा भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन होगी। भारत का यह रुख निरंतर रहा है कि वर्ष 1963 का ”तथाकथित चीन पाकिस्तान सीमा समझौता” अवैध और अमान्य है और इसे भारत सरकार ने कभी मान्यता नहीं दी है।

आपको बता दें कि पाकिस्तान के लाहौर और चीन के काशगर के बीच पीओके से होते हुए नई बस सेवा 13 नवंबर से शुरू होगी। भारत पहले से ही चीन के इस बड़े प्रोजेक्ट का विरोध करता आया है, अब ये बस सर्विस विवाद की नई वजह बनी है। अब देखना यह दिलचस्प होगा कि भारत के विरोध के बाद क्या चीन अपने बस सेवा कार्यक्रम को रोक देगा या वह एक बार फिर छल की राजनीति करेगा।