‘लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतरें’, पीएम मोदी की मंत्रियों को दो टूक- सुख भोगने नहीं, सेवा के लिए आए
मंत्रिपरिषद की बुधवार को हुई बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कैबिनेट मंत्रियों के कामकाज से खफा नजर आए। उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंचने वाली शिकायतों के निपटारे में उदासीनता पर निराशा और नाराजगी जताई। तीन घंटे तक चली मैराथन बैठक में पीएम ने मंत्रियों को अपने राज्यमंत्रियों को प्रतीकात्मक रूप में नहीं लेने की नसीहत दी। साथ ही, शिकायतों के निपटारे में राज्य मंत्रियों को मुस्तैद करने का निर्देश दिया।
बैठक में पीएम ने कहा, उनके कार्यकाल में लोगों का सरकार से जुड़ाव और आशा-अपेक्षा बहुत ज्यादा है। यूपीए सरकार के दस साल के कार्यकाल में प्रधानमंत्री कार्यालय को देशभर से शिकायतों-सुझावों के महज 5 लाख पत्र मिले। इसकी तुलना में उनकी सरकार के कार्यकाल में ऐसे पत्रों की संख्या 4.5 करोड़ है। यह आंकड़ा बताता है कि हमारी सरकार पर लोगों की अपेक्षाओं और आशाओं का बोझ कितना ज्यादा है।
शिकायतों के निस्तारण का काम राज्यमंत्रियों को
पीएम ने कहा कि केंद्रीय मंत्रियों को समझना होगा कि लोगों की अपेक्षाएं कैसे पूरी की जाएं। पीएमओ को प्राप्त पत्रों में 60 फीसदी शिकायतें व सुझाव राज्यों से संबंधित थे, इसलिए इन पत्रों को राज्यों को भेज दिया गया। शेष 40 प्रतिशत शिकायत और सुझाव जो केंद्र से जुड़े थे, उनका समय पर उचित निस्तारण नहीं हुआ। पीएम ने केंद्रीय मंत्रियों को निर्देश दिया कि शिकायतों के निस्तारण की निगरानी का काम राज्य मंत्रियों के हवाले करें। इस दौरान पीएम ने राज्य मंत्रियों द्वारा काम नहीं मिलने की शिकायतों का जिक्र करते हुए नाराजगी जाहिर की और कहा कि इस पद को किसी भी सूरत में प्रतीकात्मक नहीं समझा जाए।
सुख भोगने नहीं, सेवा के लिए आए
पीएम ने कहा कि भाजपा की अगुवाई वाली राजग सरकार सत्ता सुख भोगने नहीं आई है। हम लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव के लिए आए हैं। यही कारण है कि बीते दस साल में लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने वाली नीतियों, कार्यक्रमों और योजनाओं पर सर्वाधिक ध्यान दिया गया है। यही कारण है कि लोगों की अपेक्षा और आकांक्षा में भी बढ़ोत्तरी हुई है। पीएम ने दो टूक शब्दों में कहा कि लोगों की अपेक्षा और आकांक्षाओं को हर हाल में पूरा किया जाए।