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जजों को छूट से जुड़े 1991 फैसले को दी गई चुनौती, FIR दर्ज करने के लिए SC में याचिका दायर

नई दिल्ली:  सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर दिल्ली पुलिस को दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से कथित तौर पर आधी जली हुई नकदी बरामद होने के मामले में एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की गई है। इस याचिका में के. वीरस्वामी मामले में 1991 के फैसले को भी चुनौती दी गई है, जिसमें शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाया था कि भारत के मुख्य न्यायाधीश की पूर्व अनुमति के बिना हाई कोर्ट या शीर्ष अदालत के किसी जज के खिलाफ कोई आपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती।

मामले में सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई
कथित नकदी बरामदगी 14 मार्च को रात करीब 11.35 बजे जज यशवंत वर्मा के लुटियंस स्थित आवास में आग लगने के बाद हुई, जिसके बाद अग्निशमन अधिकारियों को मौके पर पहुंचकर आग बुझानी पड़ी। इसके बाद, सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम और दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को जस्टिस वर्मा से न्यायिक कार्य वापस लेने समेत कई निर्देश जारी किए। मामले में सीजेआई ने जांच के लिए एक आंतरिक समिति गठित की और दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय से कहा कि न्यायमूर्ति वर्मा को कोई न्यायिक कार्य न सौंपा जाए। सोमवार को न्यायमूर्ति वर्मा को अगले आदेश तक पद से हटा दिया गया।

याचिका में क्या की गई मांग?
23 मार्च को अधिवक्ता मैथ्यूज जे नेदुम्परा और तीन अन्य की तरफ से दायर याचिका में यह भी कहा गया कि न्यायाधीशों को दी गई छूट कानून के समक्ष समानता के संवैधानिक सिद्धांत का उल्लंघन करती है और न्यायिक जवाबदेही व कानून के शासन के बारे में चिंताएं पैदा करती है।

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