भारत को घेरने के लिए पाकिस्तान ने किया ये खतरनाक काम, चीन भी हुआ शामिल

गौर करने वाली बात यह है कि इसके पहलेइस लिहाज से देखें तो पाकिस्तान को उसके ही तथाकथित दोस्त चीन ने बड़ा झटका दिया है. हालांकि आर्थिक गलियारे के नाम पर विकास का सपना दिखाने वाले चीन की बदनीयती अब पड़ोसी देश पाकिस्तान के विपक्षी नेताओं को भी समझ आने लगी है.

दो द्वीपों को सौंपे जाने का मुद्दा अब गरमा गया है. इमरान सरकार सीधे निशाने पर आ गई है. जनता में व्यापक विरोध के बीच विरोधी दलों कई संगठनों ने ऐलान किया है वे किसी भी कीमत पर दोनों द्वीपों को बेचने नहीं देंगे.

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के लिए इमरान सरकार ने दक्षिण कराची स्थित दो द्वीपों को ड्रैगन को सौपने का फैसला किया है. सामरिक दृष्टि से ये द्वीप महत्वपूर्ण हैं सिंध प्रांत के लंबे समुद्र तट पर फैले हुए हैं.

पाक राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने इसके लिए बाकायदा पाकिस्तान आइलैंड विकास प्राधिकरण के माध्यम से दिए गए विधेयक पर हस्ताक्षर भी कर दिए हैं.

विधेयक के पारित होते ही सिंध बलूचिस्तान में राजनीतिक भूचाल आ गया है. सिंध प्रांत में सत्तासीन पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के चेयरमैन बिलावल भुट्टो जरदारी ने इसे अवैध रूप से कब्जा करना बताया है. जियो सिंधी थिंकर्स फोरम ने कहा, हम अपनी जमीन को बेचने नहीं देंगे.

भारत (India) के खिलाफ अपने जन्म के पहले से दुश्मनी पाले बैठा पाकिस्तान (Pakistan) इस फेर में अपना ही भला-बुरा नहीं सोच पा रहा है. स्थिति यह है कि उसने भारत को घेरने के लिए अपने दो द्वीपों को चीन के हवाले कर दिया है.

सामरिक लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण माने जा रहे इन दो द्विपों के हस्तांतरण पर पाकिस्तानी राष्ट्रपति आरिफ अल्वी (Arif Alvi) ने भी हस्ताक्षर कर अपनी मुहर लगा दी है. यह अलग बात है कि विपक्षी दलों को यह बात हजम नहीं हुई है उन्होंने इमरान सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.