अब प्ले स्कूल में बच्चों से नही किया जायेगा किसी भी तरह का भेदभाव

लैंगिक भेदभाव एक सामाजिक बुराई है. अब यह सामाजिक पाठ प्ले स्कूल के बच्चों को भी जल्द पढ़ाया  सिखाया जाएगा. राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने सभी प्ले स्कूलों से अपील की है कि बच्चों में किसी भी तरह से लड़का  लड़की को लेकर पूर्वाग्रह न पैदा होने पाए. इसलिए उन्हें प्रारम्भ से ही जागरूक किया जाना चाहिए.

एनसीईआरटी ने बोला है कि लिंग के आधार पर जन्म लेने वाली सामाजिक बुराइयों को प्ले स्कूल के स्तर पर ही समाप्त किया जाना चाहिए. ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बच्चे जब बड़े हों तो वे लड़का  लड़की के आधार पर भेदभाव नहीं करें.

मानव संसाधन विकास मंत्रालय (HRD Ministry – MHRD) की पाठ्यक्रम विकसित करने वाली संस्था एनसीआरटी ने प्ले स्कूल एजुकेशन के लिए नए गाइड लाइन जारी किए हैं. इसमें लैंगिक समानता की सिफारिश की गई है. एनसीईआरटी ने स्कूलों को यह सुनिश्चित करने के लिए बोला है कि शिक्षक लड़कों  लड़कियों पर समान रूप से ध्यान दें. इतना ही नहीं, उन्हें सम्मान  समान मौका दें. लैंगिक भेदभाव किए बगैर लड़के और लड़कियों दोनों से समान रूप से अपेक्षाएं रखें.

एनसीईआरटी की सिफारिश में यह भी बोला गया है कि बच्चों के माता-पिता भी नियमित रूप से घर पर ऐसे अभ्यासों का समर्थन करें  बच्चों को इसके लिए संवेदनशील बनाएं.

स्कूली बच्चों में लैंगिक भेदभाव को दूर करने में कहानियां, नाटक  किताबें अहम किरदार निभा सकते हैं. एनसीईआरटी के एक वरिष्ठ ऑफिसर ने कहा, ‘स्कूलों को ऐसी किताबों, नाटकों  अन्य गतिविधियों का चयन करना चाहिए, जो लैंगिक पक्षपात से मुक्त हों. शिक्षकों को ऐसी भाषा से बचना चाहिए, जो किसी एक लिंग या अन्य तक सीमित हो. उन्हें तटस्थ भाषा का प्रयोग करना चाहिए, जिससे लैंगिक भेदभाव को बढ़ावा न मिले.

महिला-पुरुष दोनों को नायक के तौर पर करें पेश

अधिकारी के अनुसार, शिक्षकों को ऐसी कहानियों, गीतों, गतिविधियों का उपयोग करना चाहिए, जो लड़कियों और लड़कों के साथ विशेष जरूरत वाले बच्चों को सभी पेशों में समान रूप से चित्रित करते हों. स्त्रियों और पुरुषों दोनों को नेता, नायक  समस्या का निवारण करने वाले के तौर पर पेश किया जाना चाहिए.