चीन को पीछे छोड़ नेपाल ने उठाया ये बड़ा कदम, किया ऐसा…

इस कड़ी में सबसे पहला विरोध सत्तारूढ़ दल के बड़े नेता की तरफ से ही आया है. नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के पांच बड़े नेताओं में एक नारायणकाजी श्रेष्ठ ने विदेशी राजदूत की सक्रियता की आलोचना की है.

नेपाल सरकार में पूर्व विदेश मंत्री रहे श्रेष्ठ ने कहा कि इस तरह यदि नेपाल की आंतरिक राजनीति के आयाम को विदेशी शक्ति निर्देशित करती है तो इस षडयंत्र को कभी भी स्वीकार नहीं किया जाएगा.

नेपाली कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष बिमलेंद्र निधि ने दो दिन पहले ही ये इशारा दिया था कि कम्युनिस्ट पार्टी में विभाजन होने पर उनकी पार्टी ओली सरकार को समर्थन दे सकती है।

कल रात को ही विरोधी खेमे में रहे कम्युनिस्ट पार्टी के उपाध्यक्ष बामदेव गौतम के घर ओली समर्थक नेताओं ने 7 घंटे तक मीटिंग की। इस मीटिंग में ओली के तरफ से बामदेव को नयी पार्टी का अध्यक्ष बनने व एक साल बाद पीएम पद का प्रस्ताव भी दिया है।

उनको अभी उपप्रधानमंत्री व गृहमंत्री का पद देने का प्रस्ताव भी किया गया। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय सभा में रिक्त एक मनोनीत पद पर उनकी नियुक्ति का लालच भी दिया गया है।

नेपाल में सियासी संकट के बीच शनिवार देर रात प्रमुख विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष व पूर्व पीएम शेर बहादुर देउबा ने पीएम केपी ओली से मुलाकात की। केपी ओली की तरफ से पार्टी के विभाजन का स्पष्ट संदेश अपने मंत्रियों को देने के बाद ये मुलाकात हुई। इस वार्ता को सीक्रेट रखा गया है।

गौरतलब है कि इन दोनों नेताओं के बीच एक जुलाई को भी मध्य रात्रि में लंबी वार्ता हुई थी। उसी मुलाकात में आश्वासन मिलने के बाद पीएम केपी ओली ने संसद सत्र को स्थगित करने व कम्युनिस्ट पार्टी के विभाजन का अध्यादेश लाने के लिए तैयार हो गए थे।

नेपाल की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के आंतरिक कलह के नाम पर चीन की राजदूत की सक्रियता अब लोगों की नजर में खटकने लगी है. पार्टी के विभाजन को बचाने और ओली सरकार की उम्र बढ़ाने के लिए जिस तरह से काठमांडू में रही चीन की डिप्लोमेट होऊ यांकी की राष्ट्रपति भवन से प्रधानमंत्री निवास और असंतुष्ट नेताओं से लेकर सैनिक मुख्यालय तक की भागदौड़ हो रही है, उसे नेपाल के आंतरिक मामले में विदेशी हस्तक्षेप की संज्ञा दी जा रही है.