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खाद्य महंगाई पर नजर रखने की जरूरत, बेहतर कृषि संभावनाओं से समर्थित ग्रामीण मांग में लगातार तेजी जारी

घरेलू मांग के मजबूत होने से देश की आर्थिक वृद्धि फिर से बढ़ने की ओर अग्रसर है। हालांकि, खाद्य महंगाई पर निगरानी की जरूरत है। आरबीआई ने बुलेटिन में कहा, 2025 के लिए आर्थिक दृष्टिकोण अलग-अलग देशों में भिन्न हैं। अमेरिकी अर्थव्यवस्था की गति धीमी है। यूरोप व जापान में मामूली सुधार हो रहा है।

आर्थिक गतिविधियों वाले उच्च संकेत कों में तेजी
बुलेटिन के अनुसार, 2024-25 की दूसरी छमाही में देश की आर्थिक गतिविधियों वाले उच्च संकेतकों में तेजी आई है। यह तेजी राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के पहले वार्षिक अग्रिम अनुमानों में वास्तविक जीडीपी की वृद्धि में भी दिखी है। दिसंबर में लगातार दूसरे महीने महंगाई में कमी आई है।

देखा जाए तो ग्रामीण मांग में तेजी जारी है जो बेहतर कृषि संभावनाओं से समर्थित है। बुनियादी ढांचे पर सार्वजनिक पूंजीगत खर्च में पुनरुद्धार से प्रमुख क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा मिलने की संभावना है। लेख में आरबीआई के विचार नहीं हैं। यह लेखकों के अपने विचार हैं।

दिसंबर में आई थी कमी
दिसंबर में लगातार दूसरे महीने हेडलाइन मुद्रास्फीति में कमी आई, जिसका कारण सर्दियों में फलों और सब्जियों की अधिकता और उनकी कीमतों में कमी आना है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्रा द्वारा लिखे गए एक लेख में कहा गया है कि यह समय उपभोक्ता मांग को बढ़ावा देने और निवेश में तेजी लाने के लिए उपयुक्त है।

दूसरी छमाही में मिले ये संकेत
साथ ही इस लेख में यह भी कहा गया कि 2024-25 की दूसरी छमाही में आर्थिक गतिविधि में तेजी के संकेत मिल रहे हैं, जो कि भारतीय राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के अनुमानों से भी साफ होता है। लेख में बताया गया कि कॉर्पोरेट भारत 2024-25 की पहली छमाही के मुकाबले तीसरी तिमाही में बेहतर राजस्व और आय वृद्धि की उम्मीद कर रहा है।

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