केंद्र में सत्तारूढ़ एनडीए के सहयोगी दल राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) ने मध्य प्रदेश चुनावों में उतरने का ऐलान कर दिया है। रालोसपा के नेता उपेंद्र कुशवाहा मोदी गवर्नमेंट में मंत्री हैं। हालांकि बिहार में भाजपा व रालोसपा में साझेदारी है लेकिन 28 नवंबर को मध्य प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनावों के मद्देनजर रालोसपा ने अपने 56 प्रत्याशियों की पहली सूची शनिवार को जारी की है। इसके साथ ही अब यह स्पष्ट है कि भले ही केंद्र में ये दोनों दल साथ हों लेकिन मध्य प्रदेश में रालोसपा सत्तारूढ़ भाजपा को चुनौती पेश करेगी।
सूत्रों के मुताबिक इससे पहले उपेंद्र कुशवाहा ने भाजपा के नेताओं से मुलाकात कर उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में कुर्मी, कुशवाहा असर वाली सीटों पर चुनाव लड़ने की मंशा जताई थी लेकिन भाजपा की तरफ से कोई आश्वस्ति नहीं मिलने पर उन्होंने मध्य प्रदेश में अलग रास्ते पर जाने का निर्णय किया है।
द भारतीय एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक उपेंद्र कुशवाहा के इस कदम को आगामी लोकसभा चुनाव के लिहाज से भाजपा पर दबाव की रणनीति के तहत देखा जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि पिछली बार उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा ने बिहार में तीन लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी।
नीतीश कुमार के एक बार फिर एनडीए खेमे में आने के बाद बदले सियासी समीकरणों के तहत भाजपा इस बार केवल कराकट व सीतामढ़ी लोकसभा सीटें ही बिहार में रालोसपा को देने के मूड में दिख रही है। इन पर ही रालोसपा पिछली बार जीती थी। इस कारण ही यह माना जा रहा है कि बिहार में सीट-शेयरिंग के लिहाज से रालोसपा ने मध्य प्रदेश में अपने प्रत्याशी उतारे हैं।
हालांकि द भारतीय एक्सप्रेस से बात करते हुए रालोसपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ईश्वर सिंह कुशवाहा ने दबाव की रणनीति वाली बात को खारिज करते हुए बोला कि ये हर पार्टी का अधिकार है कि वह अपने विस्तार के बारे में सोचे। नीतीश कुमार की जदयू भी ऐसा ही कर रही है। इसके साथ ही जोड़ा कि हम बिहार में एनडीए के साथ हैं, उससे बाहर नहीं।
बिहार का गणित
इस बीच पिछले रालोसपा अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा व भाजपा महासचिव भूपेंद्र यादव ने अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव समेत कई राजनीतिक मुद्दों पर पिछले दिनों विचार-विमर्श किया। भूपेंद्र यादव बिहार के लिए भाजपा के प्रभारी हैं व इस कड़ी में ही पार्टी के सहयोगी के साथ सीटों के बंटवारे के लिए एक ऐसा फॉर्मूला निकालने के लिए मीटिंग की है, जो सभी को स्वीकार्य हो।
इस बात की अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि बिहार के CM एवं जनता दल (यूनाइटेड) के प्रमुख नीतीश कुमार के साथ अपने लंबे समय से चले आ रहे मतभेदों के बावजूद क्या कुशवाहा भाजपा के नेतृत्व वाले साझेदारी का भाग बने रहेंगे? नीतीश कुमार 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के साथ नहीं थे लेकिन 2017 में उन्होंने भाजपा से हाथ मिला लिया था।
केन्द्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने हालांकि बोला है कि वह पीएम नरेन्द्र मोदी की सत्ता में वापसी के लिए कार्य करेंगे। साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी, रामविलास पासवान के नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) व रालोसपा ने बिहार में क्रमश: 30, 7 व 3 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन सत्तारूढ़ साझेदारी में जदयू की मौजूदगी ने समीकरणों को उलट दिया है जिस वजह से भगवा पार्टी को एक नया फॉर्मूला निकालने पर कार्य करना पड़ रहा है।