
नई दिल्ली: वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) के खतरे से समग्र रूप से निपटने के लिए, भारत सरकार (जीओआई) ने 2015 में ‘एलडब्ल्यूई से निपटने के लिए राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना’ को मंजूरी दी थी। इस नीति में सुरक्षा संबंधी उपायों, विकास हस्तक्षेपों, स्थानीय समुदायों के अधिकारों और हकों को सुनिश्चित करने आदि से जुड़ी एक बहुआयामी रणनीति की परिकल्पना की गई है। नीति के दृढ़ कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप हिंसा और भौगोलिक विस्तार में लगातार कमी आई है। वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों की संख्या में भी भारी गिरावट आई है। अप्रैल 2018 तक वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों की संख्या 126 से घटकर 90 रह गई है, जुलाई 2021 तक यह संख्या 70 और फिर अप्रैल 2024 तक 38 रह गई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 31 मार्च 2026 तक देश में वामपंथी उग्रवाद को पूरी तरह से समाप्त करने की घोषणा की है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय में राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बुधवार को राज्यसभा में पूछे गए एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह बात कही है। उन्होंने बताया, वामपंथी उग्रवादियों (एलडब्ल्यूई) द्वारा हिंसा की घटनाएं जो 2010 में अपने उच्चतम स्तर 1936 पर पहुंच गई थीं, 2024 में घटकर 374 रह गई हैं। यानी 81 प्रतिशत की कमी आई है। इस अवधि के दौरान कुल मौतों (नागरिक + सुरक्षा बल) की संख्या भी 85 प्रतिशत घटकर 2010 में 1005 से 2024 में 150 हो गई है।
पिछले 06 वर्षों के दौरान, वामपंथी उग्रवादियों द्वारा हिंसा की घटनाएं जो 2019 में 501 थीं, 2024 में घटकर 374 हो गई हैं, यानी 25 प्रतिशत की कमी। इस अवधि के दौरान कुल मौतों (नागरिक + सुरक्षा बल) की संख्या भी 26 प्रतिशत घटकर 2019 में 202 से 2024 में 150 हो गई है। वर्ष 2022 और 2023 में हिंसा में वृद्धि वामपंथी उग्रवादियों के खिलाफ बढ़े हुए अभियानों के कारण है, क्योंकि सुरक्षा बलों ने सीपीआई (माओवादी) के मुख्य क्षेत्रों में प्रवेश करना शुरू कर दिया है।
सुरक्षा के मोर्चे पर, भारत सरकार (जीओआई) वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों को केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बटालियन, राज्य पुलिस बलों के आधुनिकीकरण के लिए प्रशिक्षण और धन, उपकरण और हथियार, खुफिया जानकारी साझा करना, किलेबंद पुलिस स्टेशनों का निर्माण आदि प्रदान करके क्षमता निर्माण के लिए सहायता करती है। सुरक्षा संबंधी व्यय (एसआरई) योजना के तहत सुरक्षा बलों की परिचालन और प्रशिक्षण आवश्यकताओं से संबंधित आवर्ती व्यय, आत्मसमर्पण करने वाले वामपंथी उग्रवादियों के पुनर्वास के लिए राज्यों द्वारा किए गए व्यय, सामुदायिक पुलिसिंग, ग्राम रक्षा समितियों और प्रचार सामग्री आदि के लिए सहायता प्रदान की जाती है।