
नई दिल्ली: उन्होंने कहा कि दोनों नेताओं की बातचीत के दौरान खालिस्तान का मुद्दा उठा। हम अपने मित्रों को उनके देशों में भारत विरोधी तत्वों की गतिविधियों और आतंकवाद को महिमामंडित करने तथा हमारे राजनयिकों, हमारी संसद या भारत में हमारे कार्यक्रमों पर हमले की धमकी देने के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अन्य लोकतांत्रिक स्वतंत्रताओं के दुरुपयोग के प्रति सचेत करते रहते हैं। इसलिए, न्यूजीलैंड को भी खालिस्तान के मसले पर सचेत किया।
न्यूजीलैंड की सरकार ने भी हमारी चिंताओं को ध्यान में रखा है और अतीत में भी इस पर विचार किया है। भारत विदेशी धरती से संचालित अलगाववादी आंदोलनों के खिलाफ अपने रुख को लेकर मुखर रहा है। लक्सन के साथ बैठक ऐसे समय में हुई है जब केंद्र सरकार अंतरराष्ट्रीय साझेदारों से चरमपंथी गतिविधियों में शामिल व्यक्तियों और समूहों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग कर रही है।
मजूमदार ने कहा कि न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन की यात्रा भारत और न्यूजीलैंड के बीच मजबूत होते संबंधों को दर्शाती है। प्रधानमंत्री के रूप में उनकी यह पहली भारत यात्रा है। वह 10वें रायसीना संवाद के मुख्य अतिथि हैं। उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में भारत और न्यूजीलैंड के बीच कई उच्चस्तरीय संपर्क हुए हैं। प्रधानमंत्री लक्सन ने प्रधानमंत्री मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में अपना तीसरा कार्यकाल जीतने पर टेलीफोन पर बधाई दी थी और प्रधानमंत्री मोदी ने अक्तूबर 2024 में लाओस में पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री लक्सन से मुलाकात भी की थी। भारत के राष्ट्रपति ने भी पिछले साल अगस्त में न्यूजीलैंड की सफल यात्रा की, जिससे दोनों देशों के बीच संबंध और मजबूत हुए। लक्सन की यात्रा से सभी क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंध और प्रगाढ़ होने तथा लोगों के बीच आपसी संपर्क मजबूत होने की उम्मीद है।