पर्वतराज गोवर्धन की भूमि के पूंछरी में दीपदान व दीपावली महोत्सव का आयोजन, जलाए जाएंगे 11 हजार दीपक

पर्वतराज गोवर्धन की भूमि के पूंछरी (राजस्थान) में दीपदान व दीपावली महोत्सव का आयोजन शनिवार को किया जाएगा। महोत्सव के अंतर्गत विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे।

पूंछरी स्थित दाऊजी मंदिर के महंत ब्रज बिहारी शरण उर्फ विजय बाबा ने बताया कि अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर में कोई व्यवधान उत्पन्न नहीं हो, इसके लिए गिरिराजजी से प्रार्थना करने को गोवर्धन महाराज के सामने अप्सरा कुंड पर 11 हजार दीपक जलाए जाएंगे। ज्योति प्रज्वलित होकर तलहटी का झिलमिल श्रृंगार करेंगी। यह दीप पूंछरी लौठा मंदिर, अप्सरा कुंड, नवल कुंड, दाऊजी मंदिर के साथ परिक्रमा मार्ग में झिलमिलाएंगे। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम के अंतर्गत ब्रज का प्रसिद्ध चरकुला नृत्य आभा बिखेरेगा। दीपावली में फूलों की होली, मयूर नृत्य और महारास ब्रजभूमि के पुरातन इतिहास का गुणगान करेंगे। दीप प्रज्वलन को पांच हजार लीटर तेल मंगाया गया है। उप्र और राजस्थान के प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहेंगे। गिरिराजजी का अन्नकूट महोत्सव के साथ भंडारा का आयोजन भक्तों को आकर्षित करेगा।

इसलिए है खास यह स्थल

इंद्र का मान मर्दन के बाद जब सात मुख्य अप्सराओं ने श्री कृष्ण का अभिषेक किया तो उस अभिषिक्त जल से यह कुण्ड बना। इस कुण्ड के समीप अप्सरा-बिहारी मंदिर, दाऊजी मंदिर व अप्सरेश्वर महादेव मंदिर मुख्य आकर्षण हैं। वहीं मान्यता है कि लौठा रोजाना कन्हैया के साथ गाय चराने आते थे। भूख लगने पर सिर्फ कन्हैया का छोड़ा हुआ झूठा भोजन ही करते थे। कन्हैया भी उनकी वजह से ज्यादा भोजन रखकर खाने बैठते थे। ब्रज छोड़कर मथुरा जाते समय कन्हैया दोबारा आने की कहकर गए। कथा के अनुसार लौठा तब से आज तक कन्हैया के आने का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने तभी से अन्न जल भी छोड़ रखा है। ब्रज में इनके बारे में एक कहावत प्रसिद्ध है कि’ना कछु खावै, ना कछु पीवै, तऊ कैसौ परौ सिलौंटा, धन्य-धन्य तो कू पूंछरी के लौठा