नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आदेश दिया कि सभी पक्ष डॉक्टरों और मेडिकल कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर अपने सुझाव राष्ट्रीय कार्यबल (एनटीएफ) के साथ साझा करें। एनटीएफ का गठन 20 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने किया था और उसका काम अस्पतालों में डॉक्टरों और मेडिकल कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा उपायों का प्रोटोकॉल तैयार करना है। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजीव कुमार की बेंच ने कहा कि एनटीएफ 12 हफ्तों (तीन महीने) के भीतर अदालत में अपनी रिपोर्ट पेश करेगा।
आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में महिला डॉक्टर के दुष्कर्म और हत्या के मामले को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एनटीएफ का गठन किया था। एनटीएफ सभी पक्षों की सिफारिशों के आधार पर चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रोटोकॉल तैयार करेगा। चीफ जस्टिस ने कहा कि इस मामले में अगली सुनवाई 17 मार्च 2025 से शुरू होने वाले हफ्ते में होगी। लेकिन अगर दुष्कर्म और हत्या के मामले में सुनवाई में कोई देरी होती है, तो पक्षकारों को जल्दी सुनवाई की मांग करने का अधिकार होगा।
एनटीएफ ने नवंबर में अपनी रिपोर्ट में कहा था कि चिकित्सा पेशेवरों के खिलाफ अपराधों को रोकने के लिए अलग से कोई केंद्रीय कानून बनाने की जरूरत नहीं है। इन कहा था कि राज्य के कानूनों में सामान्य और गंभीर अपराधों के लिए पर्याप्त प्रावधान हैं और भारतीय न्याय संहिता, 2023 के तहत भी इन मामलों को संबोधित किया जा सकता है। रिपोर्ट में कई सुझाव दिए गए थे, जिनमें कहा गया था कि 24 राज्यों ने पहले ही चिकित्सा पेशेवरों के खिलाफ हिंसा से निपटने के लिए कानून बना लिए हैं। इन कानूनों में चिकित्सा संस्थानों और चिकित्सा पेशेवरों को भी परिभाषित किय गया है। इसके अलावा दो और राज्यों ने इस संदर्भ में अपने विधेयक पेश किए हैं।