जानिए अयोध्या मुद्दे में जज ने इसलिए हिंदू मत को माना महत्वपूर्ण, दिया ये तर्क ?

भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा निर्णय सुनाते हुए शीर्ष न्यायालय ने अयोध्या में विवादित 2.77 एकड़ धरती रामजन्मभूमि न्यास को देने की बात कही है

इसके साथ ही भगवान राम के भव्य मंदिर के निर्माण का रास्ता निष्कंटक गया है इसके साथ ही मुस्लिमों को मस्जिद बनाने के लिए अयोध्या में ही अलग से पांच एकड़ जमीन देने का आदेश दिया गया है

अयोध्या मुद्दे की सुनवाई शीर्ष न्यायालय के CJI सहित पांच जजों की पीठ ने किया इस बेंच के एक न्यायाधीश ने भगवान राम के जन्म पर अलग ही दृष्टिकोण दिया है हालांकि, निर्णय में उन जज का नाम नहीं दिया गया, किन्तु उनके विचार को परिशिष्ट के तौर पर जोड़ दिया गया इन न्यायाधीश ने अपना दृष्टिकोण देते हुए बोला कि सिख धर्म के निर्माणकर्ता गुरु नानक देवजी का सन् 1510-11 में भगवान राम के जन्मस्थान के दर्शन करने के लिए वहां जाना हिंदुओं के पक्ष  विश्वास को बल देता है इसलिए इन न्यायाधीश ने माना कि हिंदुओं का मत जरूरी है

शीर्ष न्यायालय ने पाया है कि राम जन्मभूमि की ठीक स्थान की पहचान के लिए कुछ नहीं था, किन्तु गुरु नानक देवजी के अयोध्या यात्रा के सबूत हैं इससे पता चलते है कि साल 1528 से पहले भी हिन्दू श्रद्धालु अयोध्या में भगवान राम की जन्मभूमि के दर्शन के लिए जाते थे ‘जन्म सखीज’ को अयोध्या मुद्दे पर रिकॉर्ड के तौर पर लिया गया आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि जन्म सखीज को गुरु नानक देव जी की जीवनी होने का दावा किया जाता है