पानी संसाधनों की योजनाओं के लिए वित्तीय वर्ष 25 में 98% से ज्यादा फंड खर्च, सरकार का दावा

नई दिल्ली: जल शक्ति मंत्रालय ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में पानी से जुड़ी योजनाओं के लिए आवंटित केंद्रीय फंड का लगभग पूरा उपयोग कर लिया है। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार, मार्च 2025 के अंत तक 98.39% फंड खर्च किए जा चुके थे। ‘2024-25 के लिए योजनाओं के फंड की उपलब्धता और उपयोग पर रिपोर्ट’ के मुताबिक, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग ने केंद्र प्रायोजित योजनाओं (सीसीएस) और केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं के तहत फंड का उपयोग किया।
क्या हैं ये योजनाएं?
केंद्र प्रायोजित योजनाएं: इन योजनाओं को मुख्य रूप से केंद्र सरकार फंड देती है लेकिन लागू करने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की होती है। कई बार राज्यों को भी आंशिक योगदान देना पड़ता है।
केंद्रीय क्षेत्र की योजनाएं: इन योजनाओं को पूरी तरह से केंद्र सरकार फंड और लागू करती है, राज्यों की कोई हिस्सेदारी नहीं होती।
फंड का 81.79 फीसदी किया गया खर्च
केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए बजट में 13,431.48 करोड़ रुपये का अनुमान था, जिसमें से 13,216.34 करोड़ रुपये खर्च किए गए। वहीं केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं के लिए 6,573.73 करोड़ रुपये आवंटित हुए थे, जिसमें से 5,376.73 करोड़ रुपये खर्च किए गए। इसका मतलब 81.79% फंड का उपयोग हुआ।
पिछले साल से बेहतर प्रदर्शन
रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 24 में केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत केवल 49.45% फंड का उपयोग हुआ था, जबकि इस बार बड़ी तेजी से फंड का इस्तेमाल हुआ। कुल मिलाकर, सभी स्रोतों से केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए 15,804.73 करोड़ रुपये और केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं के लिए 5,376.73 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
बेहतर समन्वय से मिला फायदा
अधिकारियों का कहना है कि फंड रिलीज की प्रक्रिया को सरल बनाने और राज्यों के साथ बेहतर तालमेल की वजह से यह सुधार संभव हुआ। राज्यों और नोडल एजेंसियों (एसएनए, सीएनए) को भेजे गए फंड में भी बढ़ोतरी हुई है — वित्तीय वर्ष 24 में 2,902.73 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्तीय वर्ष 25 में 4,756.48 करोड़ रुपये। राज्य नोडल अकाउंट्स में बचत राशि भी घटी है, यानी फंड जमीन पर तेजी से इस्तेमाल हुए।