एक अप्रैल से महंगी होंगी जरूरी दवाएं, दवाओं के दाम में 1.74 फीसदी तक होगी बढ़ोतरी

अलीगढ़: कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और एंटीबायोटिक्स जैसी जरूरी 800 दवाएं 1 अप्रैल से महंगी हो जाएंगी। सरकार ने जरूरी दवाओं की लिस्ट यानी एनएलईएम (नेशनल लिस्ट ऑफ एसेंशियल मेडिसिंस) में शामिल दवाओं के दाम में 1.74 फीसदी तक बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है।
वर्ष 2023 में भी 12 फीसदी तक की वृद्धि की गई थी, जिससे पहले से ही महंगाई से जूझ रहे मरीजों पर अतिरिक्त बोझ पड़ा था। इनमें पैरासिटामाल, एज़िथ्रोमाइसीन, एंटी-एलर्जी, एंटी-एनीमिया, और विटामिन्स और मिनरल्स की दवाएं शामिल हैं। ये दवाएं आम बीमारियों के लिए इस्तेमाल होती हैं।
मधुमेह जैसी बीमारियों में रोजाना दवाइयों की जरूरत होती है। कीमतों में यह बढ़ोतरी मरीजों के मासिक बजट को प्रभावित कर सकती है। हालांकि यह वृद्धि ज्यादा नहीं है, लेकिन ऐसे ही बढ़ोतरी होती रही तो यह समस्या बन सकती है। सरकार को जन औषधि केंद्रों का विस्तार कर सस्ती दवाएं उपलब्ध कराना चाहिए।
एंटीबायोटिक्स दवाओं की कीमतों में वृद्धि से गरीब मरीजों के इलाज पर असर पड़ सकता है। अगर कीमतें बढ़ती हैं तो लोग बिना डॉक्टर की सलाह से कम प्रभावी दवाओं का इस्तेमाल करेंगे। सरकार को एंटीबायोटिक्स दवाओं को लेकर ठोस नीति बनानी चाहिए।
दवाओं की कीमतों में प्रस्तावित वृद्धि थोक मूल्य सूचकांक में बदलाव के अनुरूप है, मगर हमें यह ध्यान रखना होगा कि बड़ी संख्या में लोग निम्न और मध्यम वर्ग से आते हैं। ऐसे में जरूरी दवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी उनके लिए आर्थिक बोझ बढ़ा सकती है। सरकार को मूल्य नियंत्रण पर ध्यान देना चाहिए।