
नई दिल्ली:प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस समर्थित संगठन ओएसएफ (ओपन सोसाइटी फाउंडेशन) और उससे जुड़े निकायों के खिलाफ कार्रवाई की है। ईडी ने मंगलवार को बंगलूरू में ओएसएफ और उससे जुड़े ठिकानों पर छापेमारी की। यह छापेमारी फेमा कानून के उल्लंघन के आरोप में की गई।
फेमा कानून के उल्लंघन का आरोप
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, फेमा कानून के उल्लंघन करने के आरोप में ईडी ने ओएसएफ और कुछ अन्य अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों के परिसरों में छापेमारी की। ओएसएफ अमेरिका के अरबपति कारोबारी जॉर्ज सोरोस द्वारा समर्थित संगठन है। आरोप है कि ओएसएफ ने कई संगठनों को फंडिंग की और इस फंडिंग के इस्तेमाल में फेमा कानून के दिशानिर्देशों का उल्लंघन हुआ। अभी तक ईडी की कार्रवाई पर ओएसएफ ने कोई बयान जारी नहीं किया है।
जॉर्ज सोरोस पर हैं गंभीर आरोप
हंगरी मूल के अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस और उनके संगठन ओएसएफ पर भारत के हितों के खिलाफ काम करने का आरोप है। अदाणी-हिंडनबर्ग मामले में भी जॉर्ज सोरोस की भूमिका को लेकर गंभीर सवाल उठे थे। जॉर्ज सोरोस ने साल 1999 में ओएसएफ की शुरुआत की थी। सत्ता पक्ष के लोगों ने आरोप लगाया कि जॉर्ज सोरोस के सहयोग से कांग्रेस पार्टी देश को ‘अस्थिर करने’ की कोशिश कर रही है। जॉर्ज सोरोस दुनिया के सबसे धनी व्यक्तियों में एक हैं और 7.2 अरब डॉलर यानी 61 हजार करोड़ रुपये की संपत्ति के मालिक बताए जाते हैं।
भारत में विवादों में रहे हैं जॉर्ज सोरोस
अमेरिकी अरबपति-परोपकारी जॉर्ज सोरोस पर आरोप लगाया जाता है कि वे राजनीति को आकार देने और सत्ता परिवर्तन के लिए अपने धन और प्रभाव का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने 2020 में राष्ट्रवाद के प्रसार से निपटने के लिए एक नए विश्वविद्यालय नेटवर्क को एक बिलियन डॉलर की आर्थिक मदद देने का एलान किया था। वह भारत के प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भी आलोचक रहे हैं। 2020 में सोरोस ने दावोस में विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोदी सरकार की आलोचना की थी और कहा था कि राष्ट्रवाद आगे बढ़ रहा है और उन्होंने कहा था कि यह भारत में ‘सबसे बड़े झटके’ की तरह है।