दूध को हमेशा एक हेल्दी ड्रिंक के रूप में जाना गया है, इसलिए बचपन से ही रोज़ एक ग्लास दूध पीने की आदत हमें लगाई जाती है। पर ताज्जुब की बात है कि दूध न केवल एक हेल्दी ड्रिंक है, बल्कि यह कई खतरनाक व दीर्घकालिक बीमारियों का उपचार भी है। क्रोनिक यानी दीर्घकालिक खतरनाक बीमारियां जैसे अस्थमा, डायबिटीज, कैंसर आदि से बचा जा सकता है, अगर हम रोज दूध का सेवन करें।
गर्भावस्था के दौरान दूध के मध्यम सेवन व जन्म के समय वजन, लंबाई व बोन मिनरल सामग्री के बीच एक सकारात्मक लिंक है। इसके अलावा, बुजुर्ग लोगों में दूध व डेयरी उत्पादों का एक दैनिक सेवन फ्राटिल्टी व सरकोपेनिया के जोखिम को कम कर सकता है।
‘एडवांसेस इन न्यूट्रिशन’ नाम के एक जर्नल में छपे अध्ययन के मुताबिक रोज़ाना दूध पीने से कार्डियोवैसकुलर, मेटाबोलिक सिंड्रोम, कोलन या ब्लैडर कैंस, टाइप-2 डायबिटीज आदि बीमारियों को दूर रखा जा सकता है।
अध्ययन में दूध व डेयरी प्रोडक्ट्स का विकास, बोन मिनरल डेंसिटी, मांसपेशियां, प्रेग्नेंसी व ब्रेस्टफीडिंग पर प्रभाव की चर्चा भी की गई है।
दूध व डेयरी उत्पादों में न केवल कई पोषक तत्व होते हैं, बल्कि प्रोटीन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम, जस्ता, सेलेनियम, विटामिन ए, राइबोफ्लेविन, विटामिन बी 12 व पैंटोथेनिक एसिड के लिए पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने की क्षमता भी रखते हैं।
अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि डेयरी उत्पादों के सेवन से वर्टेब्रल फ्रैक्चर रिस्क का खतरा भी कम हो जाता है।
हालांकि, डेयरी उत्पादों की उच्च बनाम कम खपत के बीच अंतर के विश्लेषण में, डेयरी उत्पाद की खपत व मौत दर के बढ़ते जोखिम के बीच किसी भी संबंध की पहचान नहीं की गई थी।
लो फैट वाले डेयरी उत्पादों का कुल सेवन मेटाबॉलिक सिंड्रोम के जोखिम को कम करता है। वहीं इसका सेवन दिल रोग के जोखिम को नहीं बढ़ाता है। बल्कि थोड़ा सुरक्षात्मक असर ही डालता है।