दिनों दिन बढ़ते जा रहें प्रदूषण ने केवल मानव जाती को ही नहीं बल्कि जलीय जीवों को भी प्रभावित कर रही है वहीं संसार भर के समुद्रों में कम हो रही ऑक्सीजन की मात्रा से मछलियों की कई प्रजातियों व अन्य जलीय जीवों के अस्तित्व को खतरा पैदा हो गया है।
ऐसा भूमि का तापमान बढ़ने से पर्यावरण में हो रहे परिवर्तन व पोषक पदार्थो के प्रदूषित होने के कारण हो रहा है। आइयूसीएन ने यह रिपोर्ट पर्यावरण पर संयुक्त देश द्वारा आयोजित सम्मेलन में पेश की है। सम्मेलन में करीब 200 देश भाग ले रहे हैं।
आइयूसीएन (इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर) के कार्यकारी महानिदेशक ग्रेथेल गुइलार ऑक्सीजन के स्तर में गिरावट समुद्री की परिस्थितिकी को नष्ट-भ्रष्ट कर देगी। इसका तटवर्ती मानव आबादी पर भी प्रभाव होगा। इसलिए भूमि का तापमान नियंत्रित करने व समुद्र में प्रदूषित पदार्थो को खपाने के सिलसिले में तत्काल काम प्रारम्भ किए जाने की आवश्यकता है। अगर समुद्र से ऑक्सीजन समाप्त हो गई तो समूची मानव जाति के लिए वह बहुत बड़े खतरे के रूप में सामने आएगी। उसे समुद्री ज़िंदगी ही नहीं भूमि के जनजीवन को भी खतरा पैदा हो जाएगा। संस्था ने संसार भर के समुद्रों के 700 स्थानों पर ऑक्सीजन की मात्रा का आकलन किया है। ज्यादातर स्थानों पर ऑक्सीजन निर्धारित मात्रा से कम पाई गई।
भारत ने कहा, कार्बन उत्सर्जन की मात्रा कम करने को व समय मिले
जंहा विशेषज्ञों का बोलना है कि कार्बन उत्सर्जन की मात्रा घटाने के लिए विकासशील राष्ट्रों को कुछ व समय दिया जाए। पेरिस समझौते में पांच वर्ष में कार्बन उत्सर्जन की मात्रा 20 से 40 फीसदी कम करने का संकल्प लिया गया था। हिंदुस्तान पर्यावरण सुधार के लिए उठाए गए अपने कदमों से सम्मेलन को अवगत कराएगा। हिंदुस्तान ने ये कदम सन 2010 में पर्यावरण सुधार के लिए तय मानदंडों के तहत उठाए। इसमें हिंदुस्तान को उल्लेखनीय सफलता भी प्राप्त हुई। 2015 में हुए पेरिस समझौते में हिंदुस्तान ने फिर से पर्यावरण सुधार के लिए नए संकल्प लिए व अब उन पर अमल हो रहा है।