14 साल की आयु में पढ़ाई छोड़ शुरू किया ये काम, साबित हुआ सुपरहिट

मोबाइल ऐप की संसार में प्रतिभा का लोहा मनवा चुकीं यूपी के सहारनपुर की 18 वर्षीय हर्षिता अरोड़ा अब अमेरिका के विश्वप्रसिद्ध मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआइटी) विवि से ग्रेजुएशन करेंगी. वैसे उनकी पढ़ाई कक्षा आठ तक ही सीमित है.

14 साल की आयु में आठवीं के बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी थी  कंप्यूटर (आइटी) को करियर का साधन और ध्येय बना लिया. गत साल हर्षिता तब चर्चा में आईं, जब उनका बनाया ऐप संसार में छा गया. यह उपलब्धि हासिल करते वक्त उनकी आयु 16 साल कुछ माह  शैक्षिक योग्यता केवल आठवीं पास ही थी.

हर्षिता ने बनाया एप्लीकेशन

जनवरी, 2018 में हर्षिता ने ऐसा एप्लिकेशन बनाया, जो 32 राष्ट्रों के 1000 से भी अधिक क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों के बारे में लाइव अपडेट देता. एक महीने से भी कम समय में यह आइओएस ऐप सबसे अधिक मांग वाले पेड एप्स में से एक बन गया. चौदह वर्ष की आयु में पढ़ाई छोड़ देने के सवाल पर हर्षिता ने बोला कि वह कॉमन कोर्स नहीं करना चाहती थीं, क्योंकि उन्हें आइटी के क्षेत्र में ही करियर बनाना था, जिसके लिए बेसिक एजुकेशन  विषयों की जरूरत नहीं थी. उन्होंनेआइटी में ही अपने ज्ञान का विस्तार किया  कड़ा एक्सरसाइज भी.

ऐप डेवलपर बनने के लिए किया मुश्किल परिश्रम

हर्षिता के पिता रवींद्र सिंह अरोड़ा ऑटो फाइनेंसर  मां जसविंदर कौर गृहिणी हैं. हर्षिता ने प्राथमिक एजुकेशन एथेनिया और पाइनहॉल स्कूल से ली. कक्षा-8 की पढ़ाईउन्होंने पाइनवुड स्कूल से की. ऐप डेवलपर (प्रोगामर) बनने के लिए उन्होंने 14-15 साल की अवस्था से ही मुश्किल परिश्रम प्रारम्भ कर दिया था. फिर सेल्सफोर्स में इंटर्नशिप करने बेंगलुरु चली गईं. इसके बाद 2016 में एमआइटी के एमआइटी लॉन्च (हाईस्कूल उद्यमिता कार्यक्रम) में भाग लिया. वहां फाइनेंस श्रेणी के लिए ऐप तैयार किया, जो सुपरहिट साबित हुआ.

भारत की एजुकेशन प्रणाली को दिखा रहीं आईना

भारत की एजुकेशन प्रणाली के सवाल पर हर्षिता का बोलना है कि वह इसमें गुनाह नहीं निकालना चाहतीं, लेकिन इसके कॉमन कोर्सेज, अलावा विषय  पाठ्यक्रम उनके लिए नहीं हैं. बकौल हर्षिता, मैं भारतीय शिक्षण प्रणाली के गुनाह नहीं गिनाना चाहूंगी, लेकिन मैं जो करना चाहती हूं वह मुझे इस एजुकेशन व्यवस्था में नहीं मिलेगा, इसलिए मैंने अपनी अलग राह बनाई.

राष्ट्रीय बाल पुरस्कार के लिए भी किया है आवेदन

पिता ने बताया कि हर्षिता ने क्रिप्टो प्राइस ट्रैकर ऐप एप्पल को 20 हजार डॉलर (करीब साढ़े 14 लाख रुपये) में बेचा. कंपनी से एक साल के करार में हर्षिता को प्रतिमाह 1500 डॉलर मिले. पिछले एक साल से हर्षिता अमेरिका के बॉस्टन में हैं. उन्होंने एमआइटी यूनिवर्सिटी के लिए आवेदन किया  औपचारिकताएं पूरी करने के बाद दिसंबर तक उन्हें इस विश्वविख्यात संस्थान में दाखिला मिल जाएगा. पिता के मुताबिक, हर्षिता को अमेरिका में तीन साल के ओ-वन वीजा के लिए 10 बड़ी कंपनियों के सीईओ के अथॉरटी पत्र चाहिए थे. उन्हें 15 कंपनियों के सीईओ ने यह पत्र सौंपे, जिसके बाद ओ-वन वीजा मिल गया है. उन्होंने बताया कि पांच माह पूर्व हर्षिता ने राष्ट्रीय बाल पुरस्कार के लिए भी आवेदन किया है.