बिहार में भाजपा कर सकती बड़ा बदलाव, नेताओं की चिंता बढ़ी

बिहार में हाल में हुए बोचहां विधानसभा उपचुनाव और एमएलसी की सीटों के चुनाव नतीजों से भाजपा नेतृत्व सतर्क हो गया है। इन चुनावों में सामाजिक समीकरण काफी प्रभावित हुए हैं और आने वाले समय में भाजपा व उसके गठबंधन राजग को नुकसान हो सकता है। भाजपा के कई नेताओं ने इन नतीजों को लेकर चिंता जतानी शुरू कर दी है।

बिहार की राजनीति में सामाजिक समीकरण काफी अहम रहते हैं। बोचहां का उपचुनाव भले ही एक सीट का था, लेकिन इसमें भाजपा (राजग) उम्मीदवार को 36,000 मतों के बड़े अंतर से हार मिली है। जबकि, क्षेत्र के सामाजिक समीकरण भाजपा के पक्ष में माने जाते थे। नतीजों से साफ हो गया है कि भाजपा का समर्थन करने वाला भूमिहार और सवर्ण वर्ग उससे खिसका है।

पासवान समुदाय ने भी चिराग पासवान के भाजपा से दूर होने के कारण उससे दूरी बनाई है। पशुपतिनाथ पारस के राजग के साथ होने का यहां पर लाभ नहीं मिला है। बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री व सांसद सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर मौजूदा हालात पर न केवल चिंता जताई है, बल्कि सामाजिक समीकरणों को लेकर पार्टी नेतृत्व को आगाह भी किया है।

भाजपा नेतृत्व भी इस स्थिति को लेकर गंभीर दिख रहा है और निकट भविष्य में राज्य में कई बदलाव भी किए जा सकते हैं। इनमें संगठन के बदलाव भी शामिल हैं। दरअसल, भाजपा को सबसे ज्यादा चिंता भूमिहार वर्ग की नाराजगी को लेकर हो रही है। यह वर्ग भाजपा के विरोध में राजद को समर्थन करता दिख रहा है।

इसके अलावा कुछ सवर्ण और अति पिछड़ा वर्ग भी भाजपा से खिसक रहे हैं। निषाद समुदाय भी उससे दूर हुआ है। बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री व सांसद सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर मौजूदा हालात पर न केवल चिंता जताई है, बल्कि सामाजिक समीकरणों को लेकर पार्टी नेतृत्व को आगाह भी किया है।

भाजपा नेतृत्व भी इस स्थिति को लेकर गंभीर दिख रहा है और निकट भविष्य में राज्य में कई बदलाव भी किए जा सकते हैं। इनमें संगठन के बदलाव भी शामिल हैं। दरअसल, भाजपा को सबसे ज्यादा चिंता भूमिहार वर्ग की नाराजगी को लेकर हो रही है। यह वर्ग भाजपा के विरोध में राजद को समर्थन करता दिख रहा है। इसके अलावा कुछ सवर्ण और अति पिछड़ा वर्ग भी भाजपा से खिसक रहे हैं। निषाद समुदाय भी उससे दूर हुआ है।