सिर्फ इस वजह से हॉस्टल में 60 से ज्यादा छात्राओं के उतरवाये गये पूरे कपड़े और…

परंपरा और धार्मिक मान्यता के नाम पर क्या लड़कियों के साथ शर्मनाक बर्ताव उचित है? एक तरफ सरकार बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का अभियान चला रही है दूसरी तरफ बेटियों के साथ ऐसे बर्ताव की खबर आती हैं जिसे शर्मनाक से कम कुछ नहीं कहा जा सकता.


गुजरात के भुज में स्वामी नारायण मंदिर द्वारा संचालित एक हॉस्टल में पीरियड्स की जांच के लिए 60 से ज्यादा छात्राओं के कपड़े उतरवाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है.

हॉस्टल वार्डन की शिकायत पर 68 लड़कियों के पीरियड (मासिक धर्म) जांचे गए. सभी लड़कियां अंडरग्रेजुएट छात्र है और वहीं हॉस्टल में रहती है. फिलहाल इस मामलें की शिकायत पुलिस में नहीं दर्ज कराई गई है.

अहमदाबाद मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक एसएसजीआई (SSGI) की प्रिंसिपल के निर्देश पर 68 लड़कियों को टॉयलेट में ले जाकर अंडरगारमेंट्स हटाने के लिए मजबूर किया गया. जिससे यह पता चल सके की उन्हें पीरियड आया है या नहीं. दरअसल हॉस्टल वार्डन ने शिकायत की थी कि मासिक धर्म वाली लड़कियों ने हॉस्टल के रसोई में प्रवेश किया और कैंपस में मौजूद मंदिर परिसर भी गई थी और अपने साथी छात्राओं को भी छुआ. जिसके बाद कॉलेज की प्रिंसिपल ने हॉस्टल की 68 छात्राओं को कॉलेज से वाशरूम तक परेड करने के लिए मजबूर किया.
हॉस्टल की एक छात्रा ने कहा कि वार्डन ने बुधवार को हम पर आरोप लगाकर अपमान किया. इसके बाद गुरुवार को हमें लेक्चर से जबरन बाहर बुलाकर प्रिंसिपल ने खूब डाटा. इसके बाद महिला टीचरों ने हमें वॉशरूम में ले जाकर एक-एक कर पीरियड की जांच की. जबकि एक अन्य छात्रा का आरोप है कि प्रिंसिपल, हॉस्टल प्रशासन और ट्रस्टी हमें मासिक धर्म के मुद्दे पर नियमित रूप से परेशान करते हैं.

उधर, कॉलेज की प्रिंसिपल ने इस पूरे मामलें पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. जबकि एसएसजीआई के एक ट्रस्टी ने कहा कि हम एक धर्मार्थ संगठन चलाते हैं. चूंकि संस्थान में परिसर में एक मंदिर है, इसलिए लड़कियों को संप्रदाय के नियमों का पालन करने का निर्देश दिया गया है. हालाँकि उन्होंने छात्रों के साथ हुए व्यवहार को गलत बताते हुए कार्रवाई की बात कही है.