विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद सबके जेहन में तैर रहा ये सवाल…शिवसेना ले सकती है जिम्मा

महाराष्ट्र में किसकी सरकार? यह एक ऐसा सवाल है जो 24 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद सबके जेहन में तैर रहा है। गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी की ओर से सरकार बनाने का निमंत्रण पर बीजेपी अब तक फैसला नहीं कर पाई है, लेकिन गठबंधन के सहयोगी शिवसेना ने अपना दावा ठोकती नजर आ रही है। उद्धव ठाकरे के खास और शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने अगर कोई सरकार बनाने को तैयार नहीं है तो शिवसेना जिम्मा ले सकती है।

शिवसेना ने इस मद्देनजर आज रविवार दोपहर पार्टी की मीटिंग बुलाई है। इसमें आदित्य ठाकरे भी हस्सा लेंगे। इस बीच मिलिंद देवड़ा ने भी राज्यपाल से कांग्रेस-एनसीपी को सरकार बनाने के लिए निमंत्रित करने की अपील की है। उन्होंने रविवार को अपने एक ट्वीट में लिखा कि बीजेपी-शिवसेना ने सरकार बनाने से इनकार कर दिया है, ऐसे में महाराष्ट्र के राज्यपाल को प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े गठबंधन एनसीपी-कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करना चाहिए।

इससे पहले शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में रविवार को एक बार फिर एनसीपी चीफ शरद पवार की तारीफ की है, जो एनसीपी-कांग्रेस-शिवसेना दोस्ती का संकेत दे रही है। सामना में शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि (सरकार बनाने में) प्रदेश के बड़े नेता शरद पवार की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के भी कई विधायक सोनिया गांधी से मिले और उनसे महाराष्ट्र का फैसला महाराष्ट्र को सौंपने की सलाह दी।

राउत ने कहा कि महाराष्ट्र का एकमुखी स्वर है कि दोबारा बीजेपी का सीएम न हो। इसके अलावा रविवार को अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में राउत ने कहा कि कांग्रेस महाराष्ट्र की दुश्मन नहीं है। सभी दलों में कुछ मुद्दों पर मतभेद होते हैं। एनसीपी नेताओं पर सीबीआई की कार्रवाई को लेकर बीजेपी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि पांच साल तक औरों को डराकर शासन चलाने वाली पार्टी आज खुद खौफजदा है। उसे डराकर भी समर्थन नहीं मिला। उन्होंने कहा कि ऐसा जब होता है तब एक बात माननी चाहिए कि हिटलर मर गया है और गुलामी की छाया हट गई है।

महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव बीजेपी-शिवसेना महायुति और कांग्रेस-एनसीपी महागठबंधन ने मिलकर लड़ा था। मतदान 21 अक्टूबर को और मतों की गणना 24 अक्टूबर को हुई थी। चुनाव में बीजेपी ने सबसे ज्यादा 105 सीटें, शिवसेना ने 56 सीट, एनसीपी ने 54 और कांग्रेस ने 44 सीटों पर जीत हासिल की। चुनाव नतीजे आने के बाद मुख्यमंत्री पद और सत्ता में हिस्सेदारी को लेकर बीजेपी और शिवसेना के बीच विवाद हो गया। इसके चलते किसी ने सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया, क्योंकि बहुत के 145 विधायक किसी के पास नहीं थे।