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हरियाणा में हार के बाद कांग्रेस ने INDIA में सौदेबाजी की ताकत खोई, कम सीटों पर चुनाव लड़ने को मजबूर

नई दिल्ली:  हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के भीतर सौदेबाजी की ताकत खो रही है। अगले महीने होने वाले महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों में पार्टी के ऐतिहासिक रूप से कम सीटों पर चुनाव लड़ने की संभावना है। 288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा के लिए 20 नवंबर को होने वाले चुनावों में कांग्रेस 110 से कम सीटों पर चुनाव लड़ने की उम्मीद कर रही है।

2019 में कांग्रेस ने 147 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 44 सीटें जीती थीं। चुनाव में शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने भी अच्छी खासी संख्या में सीटें जीती थीं। इस बार कांग्रेस को अपने पुराने गढ़ मुंबई क्षेत्र में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) को सीटें देने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। इस क्षेत्र में 36 सीटों में से 10 सीटें पहले ही शिवसेना (यूबीटी) को दी जा चुकी हैं, जिससे कांग्रेस के कार्यकर्ता निराश हैं और पार्टी के भीतर विद्रोह फैल रहा है।

झारखंड की 81 सीटों वाली विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा (मोर्चा) ने मिलकर 70 सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान किया है। लेकिन सीटों का बंटवारा अभी तक स्पष्ट नहीं है। झारखंड में 13 और 20 नवंबर को दो चरणों में होंगे। 2019 में कांग्रेस ने 31 में ससे 16 सीटें जीती थीं। जबकि झामुमो ने 43 में से 30 सीटें हासिल की थीं।

उत्तर प्रदेश में भी कांग्रेस की स्थिति और कमजोर हुई है, जहां पार्टी ने 10 सीटों पर विधानसभा उपचुनावों में समाजवादी पार्टी का समर्थन करने का फैसला लिया। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने दावा किया कि पार्टी महाराष्ट्र में अधिकतम 107 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) की नेता डी. राजा ने हरियाणा में हार के बाद कांग्रेस से आत्ममंथन करने की अपील की और विपक्षी गठबंधन के सभी दलों के बीच एकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि (विपक्षी दलों की) एकता कोई विकल्प नहीं है। भाजपा को हराना जरूरी है। महाराष्ट्र और झारखंड में मतगणना 23 नवंबर को की जाएगी।

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