भारत के बाद चीन ने लिया इस देश से पंगा, दागी मिसाइले

राष्ट्रपति ने बोला कि मौजूदा खतरे को देखते हुए समान सोच वाले व लोकतांत्रिक राष्ट्रों को एक साथ आना चाहिए। ताकि एकतरफा आक्रामक कार्रवाइयों पर रोक लगाने लिए पर्याप्त कदम उठाये जा सकें। उन्होंने एक ऐसी रणनीति की आवश्यकता बताई जिससे युद्ध को टाला जा सके, लोकतंत्र की रक्षा हो व वार्ता से समस्या का निवारण निकले।

उन्होंने बोला कि ताइवान अपनी रक्षा क्षमता बढ़ाने व क्षेत्रीय शांति बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। लेकिन दक्षिण चीन सागर में तेजी से होता सैन्यीकरण क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा है। दक्षिण चीन सागर व ताइवान की खाड़ी में बढ़ती आक्रामकता हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अस्थिरता पैदा कर सकती है व इसके विरूद्ध दुनिया के लोकतांत्रिक राष्ट्रों को एक साथ आना चाहिए।

चीन लोकतांत्रिक ताइवान पर अपना दावा जताता आया है व उसने द्वीप के चारों ओर अपनी सैन्य गतिविधियों को तेज कर दिया है। वह ताइवान को डरा-धमका कर अपने कब्जे में लेना चाहता है, लेकिन राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन के तेवरों ने उसके मंसूबों पर पानी फेर रखा है।

ताइपे में मंगलवार आयोजित एक प्रोग्राम में ताइवानी सुरक्षा अधिकारियों व पश्चिमी राजनयिकों के बीच साई ने चाइना को निशाना बनाते हुए बोला कि अधिनायकवादी आक्रामकता से लोकतंत्र की रक्षा के लिए ताइवान सबसे आगे खड़ा है।

चीन (China) की धमकियों व उकसावे के बावजूद ताइवान अपने रुख पर कायम है। ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन (Taiwan President Tsai Ing-wen) ने चाइना की आक्रामकता का जवाब देने के लिए दुनिया के राष्ट्रों से एकजुट होने की अपील की है। उन्होंने बोला है कि क्षेत्रीय स्थिरता के चाइना बड़ा खतरा बनता जा रहा है, लिहाजा उसे मिलकर जवाब देना होगा।