आयुर्वेद के अनुसार महिलाओं की नाभि से कर सकते है उनकी ऐसी गन्दी इच्छा को नियंत्रित और फिर…

सर्दी में स्कीन व बाल रूखे होने पर ऑयल से मालिश की जाती है. आयुर्वेद के अनुसार नाभि शरीर की सभी क्रियाओं को नियंत्रित करती है. नाभि में ऑयल लगाने से सुंदर स्कीन के साथ, स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है.

मणिपूरक चक्र (नाभि) से अग्नाशय (पैंक्रियाज) रस सक्रिय होता है. इससे पाचनतंत्र व हार्मोनल संतुलन ठीक रहता है. जब नाभि सूखती है तो गैस, एसिडिटी, मधुमेह जैसी समस्याएं होती हैं. नाभि में ऑयल लगाने से इन समस्याओं से बचाव होता है.

जोड़ों के दर्द में राहत
– शिशु की नाभि में ऑयल लगाने से पेट संबंधी कठिनाई नहीं होती है.
– यदि मुहांसों की समस्या है तो रात में सोने से पहले दो बूंद नीम का ऑयल नाभि में लगाकर सोएं. चेहरे पर दाग-धब्बे, मुहांसे की समस्या में लाभ मिलता है. स्कीन में निखार के लिए बादाम का ऑयल लगाएं.

– जोड़ों में दर्द, शरीर में सूजन, फटे होंठों की समस्या है तो सरसों का ऑयल लगाएं. सरसों का ऑयल एंटीबैक्टीरियल व एंटीफंगल होता है. नाभि में जमी मैल के साथ लगे जीवाणुओं को नष्ट करने के साथ गैस, अपच और पेट दर्द में भी लाभ अच्छा है.
– माहवारी में असहनीय दर्द व ऐंठन होती है. इसके लिए पुदीना और अदरक का ऑयल नाभि में लगाएं व पेट पर हल्के हाथों से मसाज करें.

इनमें भी कारगर
खुजली, पीसीओडी की कठिनाई है तो सरसों का ऑयल और सर्दी, खांसी, जुकाम व तीन महीने के अंतराल पर माहवारी आए तो तिल का तेल, जोड़ों का दर्द है तो अरंडी का तेल, माहवारी में हैवी ब्लीडिंग होने पर नारियल का ऑयल लगाएं. गर्भवती महिलाएं विशेषज्ञ की परामर्श से ही नाभि में ऑयल लगाएं.