उत्तराखंड में दौड़ी शोक की लहर, जानिए हैरान कर देने वाला पूरा मामला

कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.एनके जोशी, परिसर निदेशक प्रो. एलएम जोशी, संकायाध्यक्ष प्रो. अतुल जोशी, प्रो. सुरेश सती, प्रो. आरके पांडे, कुमाऊं विश्वविद्यालय शिक्षक संघ-कूटा के अध्यक्ष प्रो. ललित तिवारी, प्रो. आरके पांडे, प्रो. आरसी जोशी, प्रो. संजय पंत, प्रो. हरीश बिष्ट व डॉ. गोकुल सत्याल सहित कूटा के डॉ. विजय कुमार, डॉ. सुचेतन साह, डॉ. दीपक कुमार, डॉ. दीपिका गोस्वामी, डॉ. सोहेल जावेद, डॉ. प्रदीप, डॉ. पैनी जोशी, डॉ. गगन होती, डॉ. मनोज धुनी, डॉ. सीमा चौहान व डॉ. रितेश आदि ने उनके निधन पर गहरा दुःख जताया है।

जिले के सेरी गांव निवासी चंद ने हाईस्कूल देवलथल से किया जबकि इंटर जीआईसी पिथौरागढ़ से। उन्होंने 20 किमी रोज पैदल चलकर पढ़ाई की। पीजी कॉलेज पिथौरागढ़ से भूगोल से एमए किया और गोल्ड मेडलिस्ट रहे।

1978 में उनकी नियुक्ति कुमाऊं विवि में हो गई थी। प्रो चंद ने भूटान में ब्रोकपास वाटरशेड मे पीएचडी की। वहां प्राध्यापक भी रहे। पहाड़ संस्था की ओर से आयोजित अस्कोट आराकोट अभियान में प्रसिद्ध इतिहासकार प्रो शेखर पाठक के साथ हिस्सा लिया।

मूल रूप से पिथौरागढ़ जनपद के निवासी प्रो. चंद ग्रामीण चकबंदी पर कार्य कर रहे थे। उन्होंने हिमालय के साथ ही अलास्का से लेकर एंडीज पर्वत श्रृंखलाओं की यात्रा की थी, इस तरह पूरी दुनिया के पर्वतीय भूगोल के विशेषज्ञ थे।

वह हर वर्ष हिमालयी अन्वेषक पंडित नैन सिंह पर व्याख्यानमाला आयोजित करते थे, जिसमें जानी-मानी हस्तियां भाग लेती थीं। उनके निर्देशन में 20 से अधिक विद्यार्थी पीएचडी की डिग्री प्राप्त कर चुके हैं। वह अपने पीछे पत्नी व दो पुत्रियों को छोड़ गए हैं।

खबर के मुताबिक 64 वर्षीय प्रो. चंद काफी समय से अस्वस्थ थे और दिल्ली से उनका उपचार चल रहा था। दो दिन पूर्व ही वह दिल्ली से लौटे थे। इधर बीती रात्रि स्वास्थ्य खराब होने पर परिजन उन्हें निकटवर्ती रैमजे चिकित्सालय ले गए, किंतु उन्हें बचाया नहीं जा सका।

उनके असामयिक निधन के समाचार से कुमाऊं विश्वविद्यालय में शोक छा गया है। बताया गया है कि थोड़ी देर में उनकी अंतिम यात्रा पाइंस स्थित श्मशान घाट के लिए रवाना होगी।

कुमाऊं विश्वविद्यालय के डीएसबी परिसर में भूगोल विभाग के पूर्व विधागाध्यक्ष एवं कला संकाय के अध्यक्ष रहे प्रो. रघुवीर चंद का बीती रात्रि असामयिक निधन हो गया।