ग्रामीण इलाकों की योजनाओं पर व्यय बढ़ा सकती है सरकार, जीडीपी वृद्धि दर से कम रहेगी खर्च दर
वैश्विक ब्रोकरेज फर्म गोल्डमैन सैश का मानना है कि इस बार के बजट में ग्रामीण इलाकों से जुड़ी योजनाओं का आवंटन बढ़ सकता है। इसमें कल्याणकारी योजनाओं से लेकर अन्य योजनाएं शामिल होंगी। हालांकि, आगे ऐसी योजनाओं पर सरकार के खर्च की वृद्धि दर जीडीपी वृद्धि दर से कम रह सकती है।
विश्लेषकों का मानना है कि ऐसा होता है तो इससे गांव के लोगों की आय में सुधार होगा और खर्च भी बढ़ेगा। लेकिन इसके साथ बचत बढ़ाने की भी जरूरत है। जैसे-जैसे ग्रामीण भारतीयों की आय में सुधार होगा, ग्रामीण उपभोग में भी वृद्धि होने की संभावना है, लेकिन ग्रामीण विकास में भी तेजी आनी चाहिए। आय बढ़ने के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में बचत बढ़नी चाहिए और जमा राशि में वृद्धि की संभावना को देखते हुए बैंकिंग क्षेत्र शाखा विस्तार करने के लिए और प्रयास करेंगे। जब आय में सुधार होगा, तो लोग परिवार के भविष्य के बारे में सोचेंगे, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में बीमा की पहुंच बढ़ने की गुंजाइश है।
ग्रामीण जीवन सुधार के लिए कई निवेश
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी में फंड मैनेजर प्रियंका खंडेलवाल कहती हैं कि ग्रामीण भारत विकास गाथा का अभिन्न अंग है क्योंकि हमारी कामकाजी उम्र की आबादी का एक बड़ा हिस्सा इसी इलाके में है। देश की 64% आबादी गांवों में रहती है और अर्थव्यवस्था में इसका लगभग आधा योगदान है। पिछले दशक में सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन स्तर में सुधार के लिए कई निवेश किए गए हैं और इससे बहुत लोगों को गरीबी रेखा से बाहर लाया गया है। सामाजिक कल्याण में सुधार के लिए सभी निवेशों के बावजूद, रोजगार के लिए कृषि पर बहुत अधिक निर्भरता के कारण पिछले कुछ वर्षों में समग्र स्तर पर ग्रामीण आय में अच्छा प्रदर्शन नहीं हुआ है।