खूबसूरती-अभिनय से बना दिया सबको दीवाना, असल जिंदगी में अधूरी रह गई पहली मोहब्बत
लगभग तेरह साल पहले आज के ही दिन अभिनेता देव आनंद ने दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कहा था। आज उनकी पुण्यतिथि (3 दिसंबर 2011)है। इस मौके पर उनके अभिनय के सफर, पहली मोहब्बत, गहरी दोस्ती और अलग स्टाइल से जुड़ी कुछ खास बातें, जानिए।
धर्मदेव पिशोरीमल आनंद कैसे बने देव आनंद
देव आनंद अभिनय में आने से पहले 65 रुपये महीना वेतन पर काम करते थे। इसके बाद उन्होंने 85 रुपये के वेतन पर एक लेखा फर्म में क्लर्क के तौर पर काम किया। आगे चलकर वह अपने भाई चेतन के साथ जन नाट्य संघ यानी इप्टा के मेंबर बन गए। अशोक कुमार के देव आनंद बहुत बड़े फैन थे। उन्होंने फिल्म ‘अछूत कन्या’ और ‘किस्मत’ जैसी फिल्मों में अशोक कुमार को देखकर ही अभिनेता बनने का सोचा। देव आनंद को पहला ब्रेक भी उनकी एक अदद कोशिश के कारण मिला। दरअसल, वह जबरदस्ती प्रभात फिल्म स्टूडियो में घुस गए थे। वहां बाबू राव पई ने उन्हें देखा और देखते ही फिल्मों में काम करने का ऑफर दे दिया। बाबू राव पई, देव आनंद की मुस्कान और आंखों के कायल हो गए थे। जल्द ही देव आनंद को प्रभात फिल्म की एक फिल्म ‘हम एक हैं’ में मुख्य भूमिका निभाने का अवसर मिला। इस तरह शुरू हुआ देव आनंद का फिल्मी सफर। वह धर्मदेव पिशोरीमल आनंद (असल नाम)से देव आनंद बन गए।
खूबसूरती के हुए दर्शक दीवाने
देव आनंद जैसे-जैसे फिल्म करने लगे, उन्हें दर्शकों का प्यार मिलने लगा। दर्शक खासकर महिला दर्शक उनकी खूबसूरती की दीवानी हो गईं। पर्दे पर जब भी देव आनंद नजर आते, फीमेल फैंस उनसे अपनी नजर हटा ही नहीं पाती थीं।
दोस्ती में किया वादा निभाया
देव आनंद जितने बढ़िया कलाकार थे, उतने ही बेहतरीन इंसान भी थे। उन्होंने जिससे भी दोस्ती की, उसे ताउम्र निभाया। अभिनेता और निर्देशक गुरु दत्त भी देव आनंद के जिगरी दोस्त थे। दोनों की मुलाकात पुणे में प्रभात स्टूडियो की फिल्म ‘हम एक हैं’ की शूटिंग के दौरान हुई। वहां आनंद की दोस्ती अभिनेता गुरु दत्त से हुई। दोनों ने एक-दूसरे से वादा किया कि उनमें से कोई एक अगर फिल्म उद्योग में सफल होता है, तो वह दूसरे को भी सफल होने में मदद करेगा। जैसे देव आनंद ने गुरु दत्त को कहा कि अगर वह कोई फिल्म बनाएंगे तो उसमें निर्देशक गुरु दत्त को लेंगे। वहीं अगर गुरु दत्त कोई फिल्म बनाएंगे तो वह देव आनंद को हीरो लेंगे। आगे चलकर जब देव आनंद ने भाई चेतन के साथ मिलकर अपना प्रोडक्शन हाउस खोला तो गुरु दत्त को पहली फिल्म ‘बाजी’ में निर्देशन करने का मौका दिया। गुरु दत्त के अलावा राज कपूर और दिलीप कुमार के साथ भी देव आनंद की गजब की दोस्ती रही, जबकि यह तीनों बॉलीवुड में एक-दूसरे का कॉम्पिटिशन थे।
अधूरा रह गया था पहला प्यार
देव आनंद जब बतौर अभिनेता सफल हुए तो उनके जीवन में प्यार ने दस्तक दी। सिंगर सुरैया से उन्हें मोहब्बत हुई लेकिन यह प्यार अधूरा ही रह गया। सुरैया से देव आनंद शादी करना चाहते थे लेकिन सुरैया के घरवाले राजी नहीं हुए। बाद में देव आनंद ने कल्पना कार्तिक से शादी की। ऐसा बताया जाता है कि आगे चलकर देव आनंद का दिल जीनत अमान पर भी आया, लेकिन जीनत किसी और को प्यार करती थीं इसलिए देव को जीनत का साथ भी नसीब नहीं हुआ। इस तरह देखा जाए कई दिलों की धड़कन देव आनंद को खुद अपना प्यार नसीब नहीं हुआ।
स्टाइल के पीछे का असल राज
देव आनंद फिल्मों में अपनी एक अलग स्टाइल के लिए जाने जाते हैं, वह कॉलर बटन लगाकर रखते थे। ब्लैक कपड़े ही पहनते थे। लेकिन असलियत यह है कि बचपन और जवानी के शुरुआती दिनों में देव आनंद बहुत शर्मीले लड़के रहे। वह झुककर चलते थे और खुद को पूरी तरह से कवर करने के लिए शर्ट का कॉलर बटन लगाया करते थे।