Main SlideNational

बीजेपी की लिस्ट से सहयोगी ‘गायब’, योगीराज में ब्राह्मण-ठाकुर, पिछड़ा-दलित सबको हिस्सेदारी

भाजपा ने यूपी उपचुनाव को लेकर अपनी पहली सूची जारी कर दिया है। नौ सीटों पर होने जा रहे उपचुनाव में सात सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया गया है। इसमें समाज के सभी वर्गों को हिस्सेदारी देने की कोशिश की गई है। केवल सात सीटों में ब्राह्मण-ठाकुर, ओबीसी और दलित सबको हिस्सेदारी दी गई है। भाजपा की पहली सूची में सहयोगी दलों के लिए कोई जगह नहीं छोड़ी गई है। कटहरी विधानसभा सीट पर निषाद पार्टी अब तक चुनाव लड़ती आई थी, निषाद पार्टी ने इस चुनाव में भी इसको लेकर दावेदारी की थी, लेकिन भाजपा ने कटेहरी से धर्मराज निषाद को प्रत्याशी बनाने की घोषणा कर दी है। यानी निषाद पार्टी को फिलहाल बैक सीट पर बैठन के लिए कह दिया गया है।

अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल ने भी उपचुनाव में अपनी बड़ी दावेदारी की थी। वे अपनी पार्टी के लिए कम से कम दो सीटें लेने का दबाव बना रही थीं। निषाद पार्टी भी मझवां और कटहरी पर अपना दावा ठोंक रही थी। आरएलडी ने भी मीरापुर और एक खैर पर अपनी दावेदारी की थी। लेकिन भाजपा की पहली सूची में ही सभी सहयोगी दलों को संकेत दे दिया गया है कि पार्टी अपने बल पर चुनाव लड़ेगी।

भाजपा ने सहयोगी दलों को सीट भले ही न छोड़ी हो, लेकिन उनके संबंधित समाजों से उम्मीदवार अवश्य उतारे गए हैं। इसका एक ही कारण है कि भाजपा टिकट तो अपने दम पर बांटना चाहती है, और अपने ही बल पर चुनाव जीतने का संकेत देना चाहती है, लेकिन वह ऐसा कोई संकेत नहीं देना चाहती जिससे समाजवादी पार्टी को यह कहने का अवसर मिले कि भाजपा ने इन समाजों की उपेक्षा की।

यही कारण है कि अनुप्रिया पटेल को कोई टिकट न देने के बाद भी मझवां से सुचिस्मिता मौर्या को उतारकर मौर्या समाज को संतुष्ट करने की कोशिश की गई है। कटेहरी से निषाद पार्टी लगातार चुनाव लड़ती आई है, इस बार भी वह इस सीट पर अपना दावा ठोंक रही थी, लेकिन भाजपा ने यह सीट उसे नहीं दी। लेकिन इसके बाद भी इस सीट पर एक निषाद समाज के उम्मीदवार धर्मराज निषाद को उतारकर पार्टी ने इस समुदाय को संतुष्ट करने की कोशिश है।

गाजियाबाद से संजीव शर्मा
गाजियाबाद सीट पर भाजपा ने अपने पुराने कार्यकर्ता संजीव शर्मा को मैदान में उतार दिया है। यह सीट भाजपा की परंपरागत सीट मानी जाती है। संजीव शर्मा के लिए गाजियाबाद से जीतना आसान हो सकता है, हालांकि समाजवादी पार्टी से सीधी लड़ाई हो जाने के कारण उनकी लड़ाई आसान नहीं रहने वाली है।

Related Articles

Back to top button