‘कलमा पढ़ो..हम समझे नहीं तो पिता को गोली मार दी’, आतंकी हमले की पीड़िता ने बताया क्या हुआ था

कोच्चि: जम्मू कश्मीर के पहलगाम को इसकी प्राकृतिक सुंदरता के लिए मिनी स्विट्जरलैंड कहा जाता है, लेकिन 22 अप्रैल की दोपहर यहां हुए आतंकी हमले ने पीड़ितों को ऐसा दर्द दिया है, जो जीवन भर उन्हें परेशान करेगा। केरल के कोच्चि की रहने वाली आरती आर मेनन भी उन पीड़ितों में शामिल हैं, जिन्होंने पहलगाम आतंकी हमले में अपने प्रियजनों को खोया। आतंकी हमले के तीन दिन बाद आरती कोच्चि स्थित अपने घर पहुंचीं, लेकिन अभी तक वे उस सदमे से उबर नहीं पाई हैं, जिसने उनके पिता का साया छीन लिया।
कलमा न पढ़ पाने पर मारी गोली
आरती ने मीडिया से बात करते हुए घटना को याद करते हुए बताया कि ‘हमले के वक्त पहले उन्हें लगा कि आतिशबाजी हो रही है, लेकिन जब और गोलियां चलीं तो मैं समझ गई कि यह आतंकी हमला है।’ आरती हमले के वक्त अपने पिता एन रामचंद्रन (65 वर्षीय) और दो जुड़वां बेटों के साथ पहलगाम की बैसारण घाटी में मौजूद थीं। आरती ने बताया कि जैसे ही हमें अहसास हुआ कि यह आतंकी हमला है हम बचने के लिए भागने लगे। वहां चीख-पुकार हो रही थी और लोग इधर उधर भाग रहे थे। हम भी बचने की कोशिश कर रहे थे, तभी नजदीकी झाड़ियों से निकलकर एक आतंकी हमारे सामने आया और हमारे सामने आकर खड़ा हो गया।
आरती ने बताया कि आतंकी ने उन्हें कलमा पढ़ने को कहा। हम समझ नहीं पाए तो आतंकी ने मेरे पिता को गोली मार दी। गोली लगते ही मेरे पिता गिर गए। इस पर मेरे बेटों ने चीखना शुरू कर दिया। मैं जानती थी मेरे पिता जा चुके हैं। मैंने अपने बेटों को लिया और जंगलों की तरफ भागना शुरू कर दिया। हमें नहीं पता था कि हम कहां जा रहे हैं। हम करीब एक घंटे जंगल में भटकते रहे।