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प्याज पर निर्यात शुक्ल हटाने से किसान खुश, आम आदमी दुखी; इस वजह से दाम में आ सकता है उछाल!

नई दिल्ली:  केंद्र सरकार ने प्याज पर लगा 20 फीसदी निर्यात शुल्क हटा दिया है। सरकार का यह फैसला एक अप्रैल 2025 से लागू हो जाएगा। इस शुल्क के हटने के बाद किसान अब प्याज को विदेशों में बेच सकेंगे। सरकार के इस कदम से किसानों को जरूर फायदा होगा, लेकिन आम आदमी को प्याज खरीदने के लिए अपनी जेब ढीली करनी पड़ सकती है।

देशभर में बढ़ती प्याज के रेट को कंट्रोल करने के लिए सरकार कई उपाय कर रही है। लेकिन प्याज से एक्सपोर्ट ड्यूटी खत्म होने के बाद बाजार में प्याज के दाम में तेजी देखने को मिल सकती है। प्याज के कारोबार करने वाले व्यापारियों का कहना है कि, देशभर में प्याज के बंपर उत्पादन होने के बाद भी किसानों को उचित दाम नहीं मिल पा रहे थे। इससे किसानों को नुकसान हो रहा था। किसानों को नुकसान से बचाने के लिए सरकार ने प्याज से निर्यात शुल्क हटाने का फैसला लिया है।

व्यापारियों का कहना है कि, सरकार के इस फैसले से किसान प्याज को विदेशों में आसानी से बेच सकेंगे। अब किसान और बड़े व्यापारी ज्यादा से ज्यादा प्याज को दूसरे देशों में बेचेंगे। क्योंकि वहां उन्हें रेट अच्छे मिलने की संभावना ज्यादा है। ऐसे में देश में प्याज की कमी हो सकती है। इसके अलावा अच्छी क्वालिटी का प्याज भी विदेश में जाएंगा। इससे देश के बाजारों में प्याज क्वालिटी में गिरावट देखने को मिल सकती है। ऐसे में आम आदमी को प्याज खरीदने के लिए ज्यादा दाम देने पड़ सकते है।

हर वर्ष इतना उत्पादन करता है भारत
भारत दुनिया का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक देश है। देश में हर वर्ष करीब 28-30 मिलियन टन प्याज का उत्पादन करता है। यहां साल में तीन बार प्याज की फसल बोई जाती है। पहला सीजन खरीफ का होता है। इसमें जुलाई से अगस्त में बुवाई और अक्टूबर-दिसंबर के बीच कटाई होती है। इसके बाद अक्टूबर-नवंबर में बुवाई होती है। जिसे लेट खरीफ सीजन भी कहा जाता है। इस फसल को जनवरी से मार्च के बीच काटा जाता है। जबकि तीसरा सीजन रबी प्याज का होता है। इस दौरान दिसंबर-जनवरी के बीच प्याज बोया जाता है। इसे मार्च से मई के बीच काटा जाता है। इन तीनों सीजन में से रबी की फसल का प्याज देश के कुल उत्पादन का 75 प्रतिशत हिस्सा पैदा करता है। इसे तुलनात्मक रूप से लंबे समय तक स्टोर किया जा सकता है। भारत का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य महाराष्ट्र है। इसके बाद मध्य प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान, बिहार, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और हरियाणा का नंबर आता है।

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