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वक्फ विवाद पर CAA-NRC जैसे राष्ट्रव्यापी विरोध की तैयारी, मुसलमानों का ‘भ्रम’ दूर करना जरूरी

वक्फ बोर्ड संशोधन बिल (Waqf Board Bill) के मामले पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के देश भर से आए प्रतिनिधियों ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया। विरोध प्रदर्शन में शामिल मुसलमानों ने इसे उनकी धार्मिक आजादी में सरकार का हस्तक्षेप बताया। मुसलमान नेताओं ने केंद्र सरकार से वक्फ संशोधन बिल वापस लेने की मांग की है। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि यदि सरकार इसे वापस नहीं लेती है तो वे पूरे देश में सीएए-एनआरसी जैसा विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। तो क्या एक बार फिर पूरे देश में शाहीन बाग जैसे धरने-प्रदर्शन देखने को मिल सकते हैं? प्रदर्शनकारियों ने इसी तरह के तेवर दिखाए हैं। भाजपा ने कहा है कि यह संसद की कानून बनाने की संवैधानिक शक्ति को संख्या बल के आधार पर दी जा रही चुनौती है। इसे किसी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा।

प्रदर्शनकारी मोहम्मद इस्लाम ने कहा कि भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार मुसलमानों के हर मुद्दे में छेड़छाड़ करने की कोशिश कर रही है। कभी तीन तलाक के मुद्दे पर तो कभी विवाह करने की प्रथाओं के मुद्दे पर और कभी मदरसे पर कानूनी डंडा चलाकर वह हमारे धार्मिक अधिकारों में कटौती करना चाहती है। लेकिन अब इसे और स्वीकार नहीं किया जाएगा। वे पूरे देश में इसका पुरजोर विरोध करेंगे।

सलमान आलम ने कहा कि केंद्र सरकार अपने हर मामले को आधुनिकता के साथ जोड़ती है। उसका दावा रहता है कि वह पिछड़े मुसलमानों को विकास की मुख्यधारा में लाकर उनका विकास करना चाहती है। तीन तलाक और मदरसे के मामलों को भी मुसलमानों को आधुनिक दुनिया के अनुसार चलाने की कोशिश बताई गई थी। लेकिन सरकार को यह समझना चाहिए कि धार्मिक मामले समय के अनुसार बदलने वाले नहीं होते। यह हमारी धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ है और इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।

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