‘आय कोई पैमाना नहीं, खेल सभी के लिए’, पुलेला गोपीचंद के बयान पर सिंधू के पिता रमन्ना की प्रतिक्रिया
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हैदराबाद: भारत की दिग्गज बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधू के पिता और एशियाई खेलों के कांस्य पदक विजेता पूर्व वॉलीबॉल खिलाड़ी पीवी रमन्ना ने कम आय वाले परिवारों के बच्चों को खेलों में हाथ आजमाने को लेकर चल रही बहस पर कहा कि कई तरह की चुनौतियों के बावजूद वह खिलाड़ियों और उनके माता-पिता को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करने से कभी हतोत्साहित नहीं करेंगे। खुद मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने के बावजूद रमन्ना ने वॉलीबॉल में देश का प्रतिनिधित्व किया और वह 1986 एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा थे।
सिंधू ने भी विश्व चैंपियनशिप, दो ओलंपिक पदक समेत दुनिया भर में कई टूर्नामेंट जीतकर देश का नाम रोशन किया। रमन्ना ने कहा, ‘जब मैं तीन साल का था तब मेरे पिता की मृत्यु हो गई। मैं 10 भाई-बहनों में सबसे छोटा था। लेकिन मेरे बड़े भाई-बहन मेरा समर्थन करके और मुझे राष्ट्रीय स्तर की वॉलीबॉल खेलते हुए देखकर बहुत खुश थे क्योंकि उस खेल के कारण मुझे रेलवे में नौकरी मिल गई।’
‘खेल में अच्छा होना अवसर खोलता है’
भारतीय वॉलीबॉल टीम में ब्लॉकर की भूमिका निभाने वाले इस पूर्व खिलाड़ी ने कहा, ‘ऐसे में अगर आप निम्न मध्यम वर्ग या मध्यम वर्ग से ताल्लुक रखते है तो किसी भी खेल में अच्छा होना वास्तव में आपके लिए अवसर खोलता है। यह मत भूलिए कि खेल बच्चे के समग्र विकास के लिए बहुत अच्छा है।’ रमन्ना कि यह टिप्पणी राष्ट्रीय बैडमिंटन कोच पुलेला गोपीचंद के हालिया बयान से शुरू हुई बहस के बीच आई है।
गोपीचंद ने क्या कहा था?
गोपीचंद ने कहा था कि मध्यम वर्ग के माता-पिता को बच्चों को खेल के लिए प्रोत्साहित करने से पहले अच्छी तरह सोचना चाहिए क्योंकि जो लोग उच्चतम स्तर पर सफल नहीं होते हैं उनके पास पीछे हटने के बाद कुछ नहीं होता है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि भारत में खेल शायद उन लोगों के लिए अधिक उपयुक्त है जो धनी परिवारों से आते हैं। रमन्ना ने गोपीचंद के दृष्टिकोण से असहमति जताते हुए कहा कि इसमें संतुलन बनाना सफलता की कुंजी है। उनका अपना घर इसका एक आदर्श उदाहरण है।