राजस्थान के अजमेर के बहुचर्चित ने ऐतिहासिक निर्णय सुनाते हुए चार अभियुक्तों को फांसी की सजा से दंडित किया है। इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से 254 दस्तावेज व 40 गवाह पेश किए गए। मामले में चारों आरोपियों पर 90- 90 हजार रुपए का आर्थिक दंड भी लगाया गया है। हालांकि, मामले में एक नाबालिग के विरूद्ध बाल कोर्ट में मामला विचाराधीन है।
बता दें, 22 नवंबर 2011 में अजमेर की क्रिश्चिन गंज थाना इलाके में पुलिस को एक फोन कॉल किया गया था व सामने वाले आदमी ने पुलिस को जानकारी देते हुए बोला था कि नीलू के मकान से बदबू आ रही है। जिसके बाद पुलिस क्रिश्चियन गंज थाना इलाके में नीलू के घर पहुंची थी व जब पुलिस ने ताला खोला तो उन्हें वहां नीलू व उसके बेटे प्रमोद की डेड बॉडी मिली।
हत्या का यह व शुरूआती कार्यवाही में इस मर्डर का संदेह पुलिस को नीलू के दूसरे बेटे निरमोद पर था लेकिन 5 दिन बाद निरमोद की डेड बॉडी भी कब्रिस्तान के पास एक कुएं में मिली व पुलिस ने मामले की तहकीकात प्रारम्भ की।
पुलिस द्वारा चांज के दौरान सामने आया किया के लालच में डायमंड डिसूजा, रूबीन साइमन व महेश शर्मा ने मर्डर का प्लान बनाया व तीनों को मौत के घाट उतार दिया। चारों आरोपी नीलू के बेटे निर्मल के दोस्त थे व नीलू के भाई के आने वाली 14 लाख की रकम के बारे में जानते थे। इसको लेकर उन्होंने इस वारदात को अंजाम दिया।
तफ्तीश के बाद पुलिस ने न्यायालय में चालान पेश किया जहां 7 वर्ष बाद ट्रिपल हत्या केस में एससी एसटी न्यायालय कि न्यायाधीश ब्रज माधुरी शर्मा ने अपना एतीहसिक निर्णय सुनाते हुए चारों आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई। वहीं न्यायाधीश ने चारों आरोपियों पर 90- 90 हजार का आर्थिक दंड भी लगाया।