महाराष्ट्र में बढ़ा बवाल राजनीति गर्म, सीएम उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस को ठहराया जिम्मेदार और फिर…

सीएम के इस बयान पर कांग्रेस ने फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है लेकिन यह साफ है की शिवसेना इस मुद्दे पर कांग्रेस के दबाव के बाद भी झुकने को तैयार नहीं है. शिवसेना पूरी तरह फ्रंट फुट पर आकर खेल रही है.

क्यों भड़की कांग्रेस ?
बुधवार को हुई कैबिनेट मीटिंग के बाद सीएम उद्धव ठाकरे ने अपने ट्विटर हैंडल पर औरंगाबाद का जिक्र संभाजी नगर के नाम से किया था. जिसके बाद कांग्रेस नेताओं ने उद्धव पर निशाना साधा था.

औरंगाबाद का नाम बदलने के मुद्दे पर सीएम उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस का नाम लिए बिना उस पर बड़ा हमला बोला है जिसने राज्य की राजनीति को गर्मा दिया है और इस मुद्दे पर घटक दलों के बीच विवाद को और गहरा कर दिया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि, “औरंगजेब सेक्युलर नहीं था, सरकार के एजेंडे में सेक्युलरिजम का जिक्र है और औरंगज़ेब उसमें फिट नहीं बैठता.”

प्रदेश सरकार में मंत्री और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष बालासाहेब थोरात ने सरकारी दस्तावेज में संभाजी नगर लिखने पर कड़ी नाराजी जताई थी. ऐसे आगे नहीं होना चाहिए इस बात का ख़याल रखने के लिए भी कहा था.

 

कांग्रेस का कहना है की किसी तरह के नाम परिवर्तन का कांग्रेस पार्टी विरोध करती है. कांग्रेस ने कहा कि औरंगजेब से हम भी सहमत नहीं है लेकिन शहरों का नाम बदलने का हम विरोध करते हैं.

 

वही पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण ने भी कहा की औरंगाबाद के नाम बदलने के मुद्दे पर अगर विवाद है तो इससे कॉर्डिनेशन कमेटी के पास भेजना चाहिए. मुद्दे पर सार्वजनिक चर्चा होनी चाहिए. कांग्रेस पार्टी ने शिवसेना के साथ कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के आधार पर गठबंधन किया है. इसमें नाम परिवर्तन का मुद्दा नहीं है और यह तीन पार्टियों की सरकार है.

 

आपको बता दे कि औरंगाबाद में हाल ही में महानगर निगम चुनाव होने हैं जिसके चलते इस विवाद को और हवा मिल रही है. AIMIM के औरंगाबाद के सांसद इम्तियाज ज़लील और समाजवादी पार्टी के विधायक अबू असीम आजमी ने भी औरंगाबाद का नाम बदलने का कड़ा विरोध किया है.

 

हालांकि महाविकास अघाड़ी सरकार के तीसरे साथी एनसीपी ने इस विवाद पर अब तक कोई स्पष्ट राय नहीं रखी है. डिप्टी सीएम अजित पवार ने बयान दिया है की इस मुद्दे ओर तीनों पार्टी के प्रमुख बैठकर चर्चा करेंगे. लेकिन ये भी साफ किया है कि सिर्फ नाम बदलने से शहर का विकास नहीं होता.

 

कब से उठ रही है नाम बदलने की मांग ?
1988 में शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने औरंगाबाद की एक रैली में संभाजी नगर नाम की घोषणा की थी. तब से शिवसेना नाम बदलने की बात करती रही है. 1995 में शिवसेना-बीजेपी की सरकार आने के बाद फिर एक बार इस मुद्दे ने जोर पकड़ा था.

 

19 जून 1995 में औरंगाबाद महानगर निगम ने नाम बदलने का प्रस्ताव सरकार को भेजा था जिसके बाद कैबिनेट ने नोटिफिकेशन जारी किया था लेकिन मोहम्मद मुश्ताक अहमद नाम के व्यक्ति ने कैबिनेट के निर्णय को कोर्ट में चैलेंज कर दिया और फिर शिवसेना बीजेपी की सरकार गई और कांग्रेस के तत्कालीन मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख ने इस निर्णय को खारिज कर दिया.

 

अब जाकर फिर एक बार शिवसेना का मुख्यमंत्री राज्य में बना है. इसलिए दिवंगत बल ठाकरे का सपना साकार करने की सीएम उद्धव ठाकरे ने ठान ली है. लेकिन कांगेस के विरोध की वजह से सरकार में तनाव बढ़ता नजर आ रहा है.