आज से इस फैसले के 100 दिन पूरे, राज्यसभा में अमित शाह ने सबसे पहले पेश किया ये संकल्प

भाजपा नीत एनडीए सरकार ने 5 अगस्त को संसद में अनुच्छेद 370 पर प्रस्ताव पेश किया था। आज यानी 13 नवंबर को इस फैसले के 100 दिन पूरे हो गए।

गृह मंत्री अमित शाह ने सबसे पहले राज्यसभा में एक संकल्प पेश किया, जिसमें कहा गया था कि संविधान के अनुच्छेद 370 के सभी खंड जम्मू कश्मीर में लागू नहीं होंगे। इसके बाद शाह ने लोकसभा में इसे पेश किया। 31 अक्टूबर 2019 को जम्मू-कश्मीर दो भाग में बंट गया।

यानी जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो केंद्र शासित प्रदेश हो गए। इस तरह देश में 29 नहीं 28 राज्य और 7 नहीं 9 केंद्र शासित प्रदेश हो गए। केंद्र सरकार के द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए 100 दिन पूरे हो गए हैं। 2019 लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ी जीत हासिल कर मोदी सरकार ने सबसे पहले इस फैसले को लिया।

70 साल से इसकी मांग उठ रही थी लेकिन जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 नहीं हट पाया। 5 अगस्त को फैसले के बाद घाटी में काफी कुछ बदल गया, जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बन गया, लद्दाख अलग से केंद्र शासित प्रदेश बन गया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए जम्मू कश्मीर में आतंकवाद का प्रवेशद्वार थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे रद्द कर उस रास्ते को बंद कर दिया है। शाह ने यह भी कहा कि जम्मू कश्मीर का बाकी देश के साथ एकीकरण का सरदार वल्लभभाई पटेल का अधूरा सपना पांच अगस्त को पूरा हुआ जब अनुच्छेद 370 और 35ए रद्द किये गए।

प्रधानमंत्री ने 31 अक्टूबर को कहा था कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख में नयी व्यवस्था का मतलब जमीन पर लकीर खींचना नहीं बल्कि विश्वास की एक मजबूत कड़ी बनाना है।” मोदी ने कहा कि पटेल ने 550 से ज्यादा रियासतों को एक करके देश को अखंड बनाया, लेकिन एक कसक छूट गयी थी – जम्मू और कश्मीर। जम्मू और कश्मीर का भारत के साथ विलय तो हुआ, लेकिन अनुच्छेद 370 और 35ए के कारण जम्मू और कश्मीर हमारे लिए जैसे एक समस्या बनकर रह गया।

गौरतलब है कि आज से जम्मू कश्मीर और लद्दाख दो नए केन्द्र शासित क्षेत्र के रूप में अस्तित्व में आ गए। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सरदार पटेल से प्रेरित हो कर उनकी सरकार भावनात्मक, आर्थिक और संवैधानिक एकीकरण की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने कहा कि इसके बिना 21वीं सदी में एक शक्तिशाली भारत की कल्पना करना मुश्किल होगा। पाकिस्तान पर कटाक्ष करते हुए मोदी ने कहा कि जो लोग हमारे खिलाफ जंग नहीं जीत सकते, वो हमारी एकता को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। सदियों की ऐसी ही कोशिशों के बावजूद, हमें कोई मिटा नहीं सका। जब हमारी विविधताओं के बीच एकता पर बल देने वाली बातें होती हैं, तो इन ताकतों को मुंहतोड़ जवाब मिलता है।

प्रधानमंत्री ने कहा ”देश ने अनुच्छेद 370 को खत्म करने का फैसला किया जिसने जम्मू कश्मीर को सिर्फ अलगाववाद और आतंकवाद दिया। ” मोदी ने कहा कि सरदार पटेल से प्रेरित हो कर ही उन्होंने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाने का फैसला किया। उन्होंने यह फैसला देश के पहले गृह मंत्री के ”चरणों में समर्पित किया।” उन्होंने कहा कि पूरे देश में जम्मू-कश्मीर ही एकमात्र स्थान था, जहां आतंकवाद ने 40 हजार लोगों की जान ले ली। दशकों तक वहां अनुच्छेद 370 लागू रहा। इसने अस्थायी दीवार बना रखी थी… जो दीवार कश्मीर में अलगाववाद फैला रही थी।

मोदी ने कहा, ”आज सरदार पटेल की प्रतिमा के सामने सिर झुकाकर कहना चाहता हूं कि वह दीवार गिरा दी गई है।” देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए मोदी ने कहा ”एक बार पटेल ने कहा था कि अगर जम्मू कश्मीर उनके हाथ में होता तो इसके समाधान में इतना लंबा समय नहीं लगता। उन्होंने आगाह भी किया था कि एकीकरण ही एकमात्र रास्ता है।”

जम्मू-कश्मीर में क्या रहा खास, जानिए

3 अगस्त 2019ः मोदी सरकार ने अचानक अमरनाथ यात्रा को रोक दिया, सभी यात्रियों काे घाटी छोड़ने के लिए कहा गया।

5 अगस्त 2019ः गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में अनुच्छेद 370 हटाने का प्रस्ताव पेश किया।

6 अगस्त 2019ः गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में अनुच्छेद 370 हटाने का प्रस्ताव पेश किया।

5 अगस्त 2019ः पूरे जम्मू-कश्मीर में धारा-144 लागू, इंटरनेट, फोन बंद, कई तरह की पाबंदी लगाई गईं।

कश्मीर में विपक्ष के कई नेता को नजरबंद कर दिया गया। पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला, फारुक अब्दुल्ला समेत कई नेता

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने लगातार दौरा किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह ने लगातार इसे मुद्दे पर देश के संबोधित किया।

प्रधानमंत्री ने 31 अक्टूबर को कहा था कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख में नयी व्यवस्था का मतलब जमीन पर लकीर खींचना नहीं बल्कि विश्वास की एक मजबूत कड़ी बनाना है।

निवेश का माहौल बनाया गया।

5 अगस्त को फैसले के बाद घाटी में काफी कुछ बदल गया, जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बन गया, लद्दाख अलग से केंद्र शासित प्रदेश बन गया।

दोनों में अंतर सिर्फ इतना है कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा वाला केंद्रशासित प्रदेश है, जिसका मुख्यमंत्री भी होगा, लेकिन लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी।