1 महीने पहले चीन ने किया था ये काम, पूरी सेना के साथ…

यह बर्टसे से लगभग 7 किमी पूर्व में है जो डीएसडीबीओ रोड पर है और भारतीय सेना का बेस यहा है. बर्ट्से से पूर्व की ओर जाने वाला ट्रैक बॉटलनेक में से एक है. यही कारण है कि इसे वाई-जंक्शन भी कहा जाता है.

राकी नाला के बाद वाला ट्रैक उत्तर में PP10 की ओर जाता है, जबकि ट्रैक दक्षिण, पूर्व जीवन नाला के साथ PP-13 की ओर जाता है. PP10 से PP 13 तक अर्ध चंद्राकार स्थिति है.

जो दक्षिण की ओर जाने वाले गश्त मार्ग पर PPs 11, 11A और 12 हैं. इन पीपीएस तक पहुंच न होने का मतलब है कि चीनी सैनिक भारतीयों सैनिकों को एक ऐसे क्षेत्र पर पहुंचने और नियंत्रण करने से रोक रहे हैं.

गश्त के इन बिंदुओं पर क्षेत्र के सामरिक महत्व के कारण यह एक भौतिक परिवर्तन है. डेपसांग इस वज़ह से भी चर्चा का कारण है, क्योंकि इसका जिक्र रक्षा मंत्री ने अपने भाषण में नहीं किया. PPs बॉटलनेक के पूर्व में स्थित है, जो एक चट्टानी आउटकॉर्प है ये डेपसांग मैदानों से कनेक्टिविटी प्रदान करता है.

सरकार के सूत्रों ने बताया कि चीनी ने इस साल मार्च-अप्रैल में पीपीएस 10, 11, 11A, 12 और 13 तक भारतीय सैनिकों की पेट्रोलिंग को रोका. रणनीतिक उप-सेक्टर उत्तरी सड़क या दारुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी (डीएसडीबीओ) सड़क के पूर्व में, पांच पीपीसी एलएसी के करीब हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक लेकिन जमीन पर स्थिति, विशेष रूप से लद्दाख के उत्तर में दूरवर्ती मैदानों में बहुत अलग है. क्योंकि मई से एक महीने पहले काफी वक्त तक पैंगोंग त्सो के उत्तरी तट पर गतिरोध शुरू हो गया था.

जहां भारतीय सैनिकों को फिंगर 4 से एलएसी बिंदु पर फिंगर 8 तक जाने की अनुमति नहीं दी जा रही थी. डेपसांग में चीनी सैनिकों ने पांच पेट्रोलिंग प्वॉइन्ट्स पर गश्त के लिए भारतीय सैनिकों को रोका था.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ स्थिति पर गुरुवार को राज्यसभा में एक बयान देते हुए कहा, “गश्त करने के तरीके पारंपरिक अच्छी तरह से परिभाषित हैं..दुनिया की कोई भी ताकत हमारे सैनिकों को गश्त करने से लद्दाख में नहीं रोक सकती, पैट्रोलिंग पैटर्न में कोई बदलाव नहीं है.