हाशिमपुरा दंगा: पीएसी के 16 जवानों को उम्रकैद की सजा

यूपी के मेरठ के हाशिमपुरा दंगा मामले में दिल्ली न्यायालय ने 16 पीएसी जवानों को दोषी ठहराते हुए उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई है न्यायालय ने निचली न्यायालय के निर्णय को पलटते हुए 16 पीएसी जवानों को दोषी ठहराया न्यायालय ने बोला कि सबूतों के अभाव में निचली न्यायालय ने इन्हें रिहा कर दिया था, लेकिन अब न्यायालय के सामने पर्याप्त साक्ष्य प्रस्तुत किए गए हैं

Image result for हाशिमपुरा कांड पर दिल्ली न्यायालय ने सुनाया फैसला

इससे पहले 21 जुलाई 2015 को मामले की सुनवाई में न्यायालय ने जांच एजेंसी  बरी किए गए 16 पीएसी के जवानों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था उसके बाद न्यायालयसुनवाई पूरी कर 6 सितंबर को निर्णय सुरक्षित रख लिया था

दरअसल, दिल्ली की तीस हजारी न्यायालय ने मार्च महीने में सुबूतों के अभाव में हाशिमपुरा नरसंहार के 16 आरोपियों को रिहा कर दिया था इसके विरूद्ध यूपी सरकार, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी)  अन्य पक्षकारों ने चुनौती याचिका दायर की थी न्यायालय ने भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी की उस याचिका पर भी निर्णय सुरक्षित रखा था, जिसमें उन्होंने इस मामले में तत्कालीन गृहमंत्री पी चिदंबरम की किरदार की जांच की मांग की थी 

आपको बता दें कि मेरठ जिला स्थित हाशिमपुरा में 22 मई 1987 को बहुत ज्यादा संख्या में पीएसी के जवान पहुंचे थे इन जवानों ने वहां मस्जिद के सामने चल रही धार्मिक सभा से मुस्लिम समुदाय के करीब 50 लोगों को गिरफ्तार किया था

आरोप है कि पीएसी जवानों ने इनमें से 42 लोगों की गोली मारकर मर्डर के बाद उनके मृत शरीर नहर में फेंक दिए थे यूपी पुलिस ने साल 1996 में गाजियाबाद, मुख्य न्यायिक न्यायाधीश की न्यायालय में आरोपपत्र दायर किया था आरोपपत्र में 19 लोगों को हत्या, मर्डर का प्रयास, साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़  साजिश रचने की धाराओं में आरोपी बनाया गया था

2002 में सुप्रीम न्यायालय ने इस मामले को दिल्ली की तीस हजारी न्यायालय में ट्रांसफर कर दिया था वर्तमान में मामले में आरोपी बनाए गए 16 लोग जीवित हैं तीन लोगों की मौत हो चुकी है मामले में यूपी की सीबीसीआइडी ने 161 लोगों को गवाह बनाया था 21 मार्च 2015 को दिल्ली की तीस हजारी न्यायालय ने हत्यारोपी पीएसी के सभी 16 जवानों को शक के आधार पर रिहा कर दिया था