सैन्य अफसरों को एसयूवी सहित महंगी कारों पर मिलने वाली छूट अब नहीं मिल पाएगी. सरकार ने सुरक्षाबलों को मिलने वाली यह सुविधा वापस ले ली है. अभी तक सैन्य अधिकारियों को महंगी कारें खरीदने पर कैंटीन स्टोर्स डिपार्टमेंट (सीएसडी कैंटीन) से भारी छूट मिला करती थी. अब सेवानिवृत्त हो चुके व सेवारत अधिकारियों को आठ वर्ष में एक बार सब्सिडी वाली कार लेने की इजाजत होगी.
आर्मी क्वार्टर मास्टर जनरल (क्यूएमजी) ब्रांच ने 24 मई को आदेश दिए हैं कि एक जून से सैन्य ऑफिसर सीएसडी कैंटीन से 12 लाख रुपये तक की मूल्य वाली कार, जिसकी इंजन क्षमता 2500 सीसी तक होगी उस पर ही छूट ले सकेंगे, इसमें GST शामिल नहीं होगा. अच्छा इसी तरह का आदेश रक्षा प्रतिष्ठानों में सेवारत सिविलियन ऑफिसर पर भी लागू हैं.
इसके अतिरिक्त दूसरी रैंक के जवान अब 5 लाख रुपये व 1400 सीसी इंजन क्षमता वाली कार खरीद सकते हैं. इसमें GST शामिल नहीं है. वह एक कार अपने सेवा कार्यकाल के दौरान व दूसरी सेवानिवृत्ति पर ही खरीद सकते हैं. सीएसडी कैंटीन से कार खरीदने पर एक शख्स को 50,000 से डेढ़ लाख रुपये का लाभ होता है. यह चार पहियों की सीएसडी कैंटीन में कीमतों के आधार पर निर्भर करता है क्योंकि सरकार GST पर 50 फीसदी की छूट देती है व ऑटोमोबाइल निर्माता कंपनी के साथ वार्ता करके सीएसडी में बिक्री के लिए आने वाली कारों की मूल्य मार्केट को भाव से पहले ही कुछ कम कर दी जाती है.
सेना के अधिकारियों को सरकार का यह आदेश रास नहीं आ रहा है. इससे युवा अधिकारियों व वरिष्ठों में खासा रोष है. एक मेजर ने कहा, ‘सीएसडी के जरिए मैं अब एक जीप कंपास (इसकी मूल मूल्य 15-16 लाख रुपये से शुरू) क्यों नहीं खरीद सकता, जैसा कई वरिष्ठ ऑफिसर खरीद चुके हैं?’
एक ब्रिगेडियर ने कहा, ‘नए नियम बेबुनियाद हैं. इससे पहले मूल्य व इंजन क्षमता को लेकर कोई प्रतिबंध नहीं था व ऑफिसर हर चार-पांच वर्ष में नयी कार खरीद सकते थे. हां उसका कुछ दुरुपयोग होता था लेकिन इसके लिए ऐसे आदेशों की बजाए निगरानी प्रणाली को मजबूत करने की जरुरत है.‘