भारतीय समाज में शादी एक बहुत ही पवित्र बंधन माना जाता है और इससे जुड़ी जो रस्में है उनका भी बड़ी ही गंभीरता से पालन किया जाता है। हमारे यहां सुहागरात को भी शादी का एक हिस्सा ही मानते हैं। सुहागरात पर दुल्हन को एक गिलास दूध अपने पति को देना होता है। इस रस्म का वैज्ञानिक के साथ ही साथ धार्मिक महत्व भी है। आइए जानते है दूध के गिलास के पीछे छिपे धार्मिक महत्व को-
क्यों पिलाया जाता है दूध: शादी की पहली रात पर दूल्हे को पिलाये जाने वाले दूध में काली मिर्च और बादाम का अनोखा मिश्रण होता है, जब इसे उबाला जाता है तो इसमें से कुछ ऐसे तत्व निकलते हैं जो रोमांस को बढ़ा देते हैं और इसको पीने के बाद पुरुष पार्टनर बेहतर सबंध महसूस करता है.
दूध पीना आरामदायक होता है –Image result for सुहागरातपुराने जमाने में लड़का और लड़की एक दूसरे को शादी के पहले नहीं देखते थे. जिस कारण पहली रात पर दूल्हा काफी बैचेन महसूस करता है. इस दूध को पीने से बैचेनी कम हो जाती है और जोश व उत्साह में बढ़ोतरी होती है. इसके साथ इस दूध में डाले गए केसर और बादाम की खुशबू से हार्मोन भी अधिक संचारित होते हैं और दूल्हे का मनोदशा यानी मूड अच्छा होता है.
जब दुल्हन अपने साथी को अपने हाथों से यह दूध पिलाती है तो उन दोनों के बीच यह पल उनके रिश्ते को गर्माहट देता है, वह एक दूसरे के करीब आते हैं. जब दोनों मिलकर इस दूध को पीते हैं तो उनके बीच की नजदीकियां बढ़ती हैं. सुहागरात पर ऐसा करने से उनके रोमांस में बढ़ोतरी होती है और दोनों को ही आनंद मिलता है.
ये है ज्योतिषी विचार: ज्योतिष में दूध को शुक्र और चंद्रमा दो ग्रहों का प्रतीक माना जाता है। दुल्हन का दूध के गिलास को ले जाने का प्रभाव इन दोनों ग्रहों पर पड़ता है जो इन्हें बेहतर बनाता है और ये वैवाहिक जीवन को मजबूत बनाते हैं। शुक्र पुरुषों में शुक्राणु और कामेच्छा का प्रतीक माना गया है और चंद्रमा मन का प्रतीक है। इन दोनों ही ग्रहों में संतुलन स्थापित करने के लिए इस दूध की रस्म का निर्माण किया गया है।