सात रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस म्यांमार भेजने के भारत के कदम की आलोचना

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी यूएनएचसीआर ने शुक्रवार को सात रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस म्यांमार भेजने के भारत के कदम की आलोचना की और कहा कि उन्हें कानूनी सहायता प्रदान नहीं की गई और शरण लेने की प्रक्रिया तक उनकी पहुंच नहीं होने दी गई। यूएनएचसीआर के प्रवक्ता आंद्रेज मेहेकिक ने एक संवाददाता सम्मेलन में यहां कहा कि ‘एजेंसी उन सातों म्यांमार नागरिकों की सुरक्षा को लेकर काफी चिंतित है, जिन्हें गुरुवार को वापस म्यांमार भेजा गया है।’
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भारत ने कहा है कि वर्ष 2012 से यहां अवैध रुप से रह रहे लोगों को उनकी ‘इच्छा’ से म्यांमार भेजा गया है। यह ऐसे आव्रजकों का पहला जत्था है, जिन्हें उनके देश भेजा जाना है।

मेहेकिक ने कहा, “इन लोगों को हिरासत में लेने और वापस भेजे जाने की सूचना मिलने के बाद..यूएनएचसीआर ने भारतीय अधिकारियों से आग्रह किया था कि इस समूह को अंतर्राष्ट्रीय शरणार्थी सुरक्षा की जरूरत निर्धारण करने का मौका दिया जाए।” एजेंसी ने कहा कि हमें इस आग्रह का कोई जवाब नहीं मिला।

प्रवक्ता ने कहा, “यूएनएचसीआर भारतीय अधिकारियों से इसका स्पष्टीकरण मांगती रहेगी कि किन परिस्थितियों में इन लोगों को वापस म्यांमार भेजा गया।” उन्होंने कहा, ‘एजेंसी इस बात को लेकर चिंतित है कि उन्हें कानूनी सहायता नहीं दी गई और उन्हें शरण प्रक्रिया का मौका प्रदान नहीं किया गया।’