सांसदों व विधायकों के लंबित आपराधिक मुकदमों की जानकारी देने के लिए SC ने राज्यों को दिया व वक्त

 सुप्रीम न्यायालय ने सांसदों  विधायकों के लंबित आपराधिक मुकदमों की जानकारी देने के लिए राज्यों को तीन सप्ताह का  वक्त दिया है न्यायालय ने एडवोकेट विजय हंसारिया को न्यायमित्र किया है दरअसल, पिछली सुनवाई में सुप्रीम न्यायालय ने राज्यों के मुख्य सचिव  सम्बंधित न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल से पूछा था कि उनके यहां कितने आपराधिक मुकदमें लंबित है  क्या इन सभी मुकदमों को सुप्रीम न्यायालय के दिए पुराने निर्णय के मुताबिक स्पेशल न्यायालय को ट्रांसफर किया जा चुका है अभी तक 11 राज्यों से जानकारी आई थी

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आंध्र प्रदेश बिहार, बंगाल, कर्नाटक, केरल, एमपी, यूपी, तेलंगाना जैसे 10 राज्यों में 1-1 विशेष न्यायालय बने है दिल्ली में 2 विशेष न्यायालय कार्य कर रहे हैं केंद्र गवर्नमेंट ने सुप्रीम न्यायालय में हलफनामा दाखिल कर बताया था कि अभी तक दिल्ली समेत 11 राज्यों से मिले आंकड़ों के मुताबिक, फिल्हाल सांसदों  विधायकों के विरूद्ध 1233 केस 12 स्पेशल फास्ट ट्रेक न्यायालय में ट्रांसफर किए गए हैं  136 केसों का निपटारा किया गया है, जबकि 1097 मामले अदालतों में लंबित हैं इस वक्त बिहार में सांसदों  विधायकों के विरूद्धसबसे ज्यादा 249 आपराधिक मामले लंबित हैं इसके बाद केरल में 233 मामले  पश्चिम बंगाल में 226 केस लंबित हैं कई राज्यों से डेटा आना बाकी है 12 फास्ट ट्रैक न्यायालय में 6 सेशन न्यायालय  पांच मजिस्ट्रेट न्यायालय हैं

इससे पहले सुप्रीम न्यायालय ने केंद्र गवर्नमेंट के हलफनामे पर असंतोष जताते हुए बोला था कि गवर्नमेंट की तैयारी अधूरी है ऐसे में गवर्नमेंट स्पष्ट जानकारी के साथ फिर हलफनामा दाखिल करे इससे पहले सुप्रीम न्यायालय ने दागी सांसदों, विधायकों के विरूद्ध लंबित मामलों की सुनवाई के लिए 12 स्पेशल न्यायालय के लिए केंद्र गवर्नमेंट की योजना को मंजूरी दे दी थी स्पेशल न्यायालय के गठन के लिए सुप्रीम न्यायालय ने केंद्र गवर्नमेंट को 7.80 करोड़ रुपए राज्यों को रिलीज करने को बोला था, ताकि अदालतों का गठन हो सके न्यायालय ने एक मार्च तक विशेष न्यायालय के गठित करने  उनके कार्य प्रारम्भ करने का आदेश सुनाया था

आपको बता दें कि सुप्रीम न्यायालय भाजपा प्रवक्ता अश्वनी उपाध्याय की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें दागी सांसदों  विधायकों के अपराधिक मामले की तेजी से निपटारे के लिए स्पेशल न्यायालय बनाने की मांग की गई है इससे पहले लंबे समय से दागी सांसदों  विधायकों के खिलाफलंबित आपराधिक मुकदमों के जल्द निपटाने के लिए स्पेशल न्यायालय के गठन की मांग की जा रही थी केंद्र गवर्नमेंट ने सुप्रीम न्यायालय में हलफनामा दायर कर बताया था कि इस वक्त 1581 सांसद और विधायकों पर करीब 13500 आपराधिक मामले लंबित है  इन मामलों के निपटारे के लिए एक वर्ष के लिए 12 विशेष अदालतों का गठन होगा इसके लिए 7.80 करोड़ रुपए का खर्च आएगा वित्त मंत्रालय इसके लिए 8 दिसंबर को मंजूरी भी दे चुका है अब सुप्रीम न्यायालय ने भी केंद्र की इस अपील को मंजूरी दे दी थी