समान नागरिक संहिता याचिका के विरोध में कोर्ट पहुचें मुस्लिम व्यक्तिगत लॉ बोर्ड

 बीजेपी के तीन कोर एजेंडे में से एक समान नागरिक संहिता अब आम चर्चा में है. जम्मू और कश्मीर से धारा 370 की समापन  रामजन्मभूमि पर न्यायालय की सक्रीयता को देखते हुए इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा लेट लतीफ अपने इस तीसरे एजेंडे पर भी कार्य करेगी. इसी से संबंधित एक याचिका दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर की गई है. हाई कोर्ट ने केन्द्र  विधि आयोग को यूनिफॉर्म सिविल कोड के कार्यान्वयन के विषय में जनहित याचिका पर हलफनामा दायर करने के लिए बोला था

हाईकोर्ट ने इस मुद्दे को 27 अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है. इस याचिका का विरोध करते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम व्यक्तिगत लॉ बोर्ड भी दिल्ली उच्च न्यायालय पहुंच गई हैं. उसने एकता, भाईचारा  राष्ट्रीय एकजुटता को बढ़ावा देने के लिए समान नागरिक संहिता बनाने की याचिका का विरोध किया. मुद्दे में पक्षकार बनाए जाने का अनुरोध करते हुए, बोर्ड ने अपने आवेदन में दलील दी कि कानून के तहत यह जनहित याचिका सुनवाई योग्य नहीं है  इस पर विचार नहीं किया जाना चाहिए.

मुस्लिम व्यक्तिगत लॉ बोर्ड ने दावा किया कि याची भाजपा के नेता  एडवोकेट अश्विनी कुमार उपाध्याय को निरर्थक याचिकाएं दायर करने की आदत है. व्यक्तिगत लॉ बोर्ड ने अपनी अर्जी में बोला कि मौजूदा याचिका निरर्थक है  अब यह कानूनी मामला नहीं है. बोर्ड ने बोला कि उच्चतम न्यायालय 2003 में इस मामले पर गौर कर चुका है. उसने उपाध्याय पर ऐसा जुर्माना लगाने की मांग की जो एक मिसाल कायम करे.

आवेदन में आगे बोला गया है कि मुस्लिम व्यक्तिगत लॉ बोर्ड, समान नागरिक संहिता का भारतीय मुस्लिमों के व्यक्तिगत कानूनों के व्यावहारिक पहलुओं पर पड़ने वाले संभावित प्रभाव से फिक्रमंद है. बोर्ड ने आवेदन में बोला कि मौजूदा ‘शरारतपूर्ण’ याचिका के जरिए मौजूदा यथास्थिति जिसमें भारतीय मुसलमानों के व्यक्तिगत मुद्दे इस्लामी धार्मिक कानून के जरिए निर्धारित होते हैं पर हमला करने का कोशिश है.