सबरीमाला: पहाड़ी की चोटी पर पहुंचकर वापस लौटी महिलाएं

सबरीमाला में घंटों तक चले नाटकीय घटनाक्रम और तनाव के बीच दो महिलाएं शुक्रवार को पहाड़ी की चोटी पर पहुंची, लेकिन भगवान अयप्पा के श्रद्धालुओं के व्यापक प्रदर्शन के चलते उन्हें मंदिर के गर्भगृह में पहुंचने से पहले ही लौटना पड़ गया।

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गर्भगृह की ओर जाने वाली 18 पवित्र सीढिय़ों से कुछ ही मीटर दूर स्थित कतार परिसर, वलिया नदापंडाल में महिलाओं और उन्हें सुरक्षा प्रदान कर रहे पुलिसकर्मियों को श्रद्धालुओं ने रोक दिया। जैसे ही ये दोनों लौट रही थीं तो 46 वर्षीय एक महिला ने पम्बा से पांच किलोमीटर दूर मंदिर परिसर में जाने का प्रयास किया लेकिन श्रद्धालुओं के विरोध के कारण उन्हें लौटना पड़ा।

एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के तहत त्रावणकोर देवोस्वोम बोर्ड (टीडीबी) ने कहा कि मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने संबंधी शीर्ष अदालत के फैसले को सरकार द्वारा लागू किए जाने का निर्णय लिए

जाने के बाद राज्य में व्याप्त तनावपूर्ण स्थिति को शांत करने के वास्ते वह उच्चतम न्यायालय का रूख करेगा।  राज्य के देवोस्वोम मंत्री के. सुरेंद्रन ने तिरुवनंतपुरम में पत्रकारों से कहा कि सरकार बल प्रयोग करने और श्रद्धालुओं की भावनाओं को आहत नहीं करना चाहती है। उन्होंने यह भी कहा कि एक महिला की पहचान सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर हुई है और सबरीमला का पवित्र स्थान उनके ताकत का प्रदर्शन करने की जगह नहीं है।

सुरेंद्रन ने कहा कि सरकार की उच्चतम न्यायालय के आदेश को लागू करने तथा श्रद्धालुओं की रक्षा करने की जिम्मेदारी है, न कि कार्यकर्ताओं की। पुलिस को उन महिलाओं की सच्चाई तथा पृष्ठभूमि की जांच करनी चाहिए, जो मंदिर में दर्शन के लिए आई।

सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में देवोस्वोम बोर्ड 
टीडीबी के अध्यक्ष पदमकुमार ने कहा कि सरकार के आदेश को लागू करने के प्रयास के दौरान सबरीमला और आसपास के इलाकों में व्याप्त हुई स्थिति पर बोर्ड शीर्ष अदालत में एक विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करेगा। मौजूदा संकट को दूर करने के लिए केरल उच्च न्यायालय में इसी तरह की एक रिपोर्ट दाखिल की जायेगी।

जब उनसे पूछा गया कि क्या बोर्ड शीर्ष अदालत के आदेश के खिलाफ समीक्षा याचिका दाखिल करेगा तो उन्होंने कहा कि वर्तमान निर्णय के खिलाफ सभी समीक्षा याचिकाओं में टीडीबी एक प्रतिवादी है। केन्द्र सरकार ने सबरीमला विवाद के मद्देनजर तीन दक्षिणी राज्यों केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक को सुरक्षा व्यवस्था कड़ी करने के लिए कहा है।

उच्चतम न्यायालय ने हाल के अपने फैसले में सबरीमला मंदिर में रजस्वला उम्र वाली 10-50 वर्ष आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति दी थी। इस आदेश के खिलाफ प्रदर्शन जारी है।

अपने परामर्श में केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने इन तीन राज्यों को सोशल मीडिया और इंटरनेट सेवाओं के माध्यम से विभिन्न प्रतिकूल संदेशों के प्रसार पर भी करीब से नजर रखने के लिए कहा है। गृह मंत्रालय के आंतरिक सुरक्षा प्रभाग द्वारा भेजे गए इस परामर्श में कहा गया है कि कानून एवं व्यवस्था की स्थिति को बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक एहतियाती कदम उठाए जाएं और किसी भी अप्रिय घटना को टालने के लिए पर्याप्त सुरक्षा प्रबंध किए जाएं।

…तो बंद कर देंगे मंदिर : मुख्य पुजारी
मंदिर के ‘तंत्री’ (मुख्य पुजारी) ने कहा कि अगर महिलाओं को गर्भगृह तक लाया गया तो वह मंदिर बंद कर देंगे। उनके इस रुख के बाद ही महिलाओं को वापस लौटने के लिए मनाया गया। महिलाओं को सुरक्षा मुहैया करा रहे पुलिसकर्मियों की टीम का नेतृत्व कर रहे महानिरीक्षक एस श्रीजीत ने कहा, ‘तंत्री ने मुझे बताया कि अगर महिलाएं मंदिर में घुसी, तो वह मंदिर बंद कर देंगे।

महिलाओं को यह बताया गया और उन्होंने वापस लौटने की इच्छा जताई। श्रद्धालुओं को मंत्रोच्चार के बीच यह घोषणा सुनाई गई। इससे पहले श्रद्धालुओं के अलावा पूजा में पुजारियों की मदद कर रहे मंदिर कर्मचारी भी पवित्र सीढिय़ों पर बैठ गए।