वैज्ञानिकों ने पूर्वी अंटार्कटिका में की झीलों के एक नेटवर्क की खोज

वैज्ञानिकों ने पूर्वी अंटार्कटिका के सबसे बड़े टॉटेन ग्लेशियर में 160 दिनों के अपने अभियान के दौरान बर्फ के नीचे झीलों के एक नेटवर्क की खोज की है। यह खोज यह पता लगाने में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है कि भविष्य में ध्रुवीय बर्फ का पिघलना दुनिया के महासागरों को कैसे प्रभावित करेगा।

आस्ट्रेलियन अंटार्कटिक प्रोग्राम के शोधकर्ताओं ने बर्फ के नीचे झील के बारे में अत्यधिक जानकारी जुटाने के लिए भूंकपीय अध्ययन किया। शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन के लिए बर्फ को पहले ड्रिल किया और फिर दो मीटर की गहरई पर विस्फोट किया। इन विस्फोटों से जो ध्वनि तरंगें आईं वह चट्टानों और बर्फ की अलग-अलग चादरों से गूंजती हुई आईं। उन तरंगों को सुनने के लिए शोधककर्ताओं ने विशेष माइक्रोफोन ‘जियोफोन’ को ग्लेशियर के पास रख दिया।

इसने उन्हें बर्फ के नीचे मौजूद पानी की एक छवि बनाने में मदद मिली, जो उन प्रक्रियाओं के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है जो संभवत: समुद्र तल में वृद्धि में योगदान करती हैं। आस्ट्रेलियन अंटार्कटिका डिवीजन के ग्लेसियोलॉजिस्ट बेन गेल्टन-फेनजी ने बताया कि अगर ग्लेशियर के नीचे नरम तलछट या पानी है तो यह तेजी से आगे बढ़ेगा।

वहीं, अगर इसके नीचे बेडरॉक (सूखी चट्टान) है तो यह धीरे से गति करेगा। बेन गेल्टन-फेनजी के अनुसार, इन झीलों में पाई जाने वाली पर्याप्त मात्रा में पानी समुद्र के स्तर के अनुमानित वृद्धि को प्रभावित कर सकता है। 30 किलोमीटर लंबा और द किमी मोटा टॉटेन ग्लेशियर समुद्र का स्तर सात मीटर तक बढ़ा सकता है।